खेती में किया ऐसा कमाल कि अब 40 लाख की ऑडी में घूमता है ये किसान

punjabkesari.in Thursday, May 04, 2017 - 05:15 PM (IST)

यमुनानगर:अधिकतर लोग गांव से खेतीबाड़ी का काम छोड़कर शहर में कार्य करने के लिए आ रहे हैं। कुछ लोगों की धारणा है कि डिग्री पाने के बाद खेती करना घाटे का सौदा हैं। लेकिन यमुनानगर के निकटपुर गांव के निर्मल सिंह ऐसी धारणा रखने वाले लोगों के विपरीत खेती से अच्छी कमाई करके आज 40 लाख की अॉडी में घूम रहे हैं। वे ट्रिपल एम.ए, एम.एड, एम.फिल और पी.एच.डी. होते हुए भी खेती कर रहे हैं। उन्होंने यूनिवर्सिटी में लेक्चरर की नौकरी का अॉफर छोड़कर खेती को अपनाया।
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100 एकड़ जमीन पर करते हैं बासमती चावल की पैदावार
निर्मल सिंह के पास 40 एकड़ जमीन है। 60 एकड़ ठेके पर लेकर वे पूरे 100 एकड़ में हर साल सिर्फ बासमती चावल की ही पैदावार लेते हैं। निर्मल सिंह ने 1997 से अब तक धान की फसल कभी मंडी में नहीं बेची। दरअसल वर्ष 1997 से ही लंदन की टिल्डा राइस लैंड कंपनी से निर्मल सिंह का करार है। खेत में लगी फसल को ही कंपनी महंगे दामों पर खरीद लेती है। इसी वजह से मंडी में फसल ले जाने का खर्च बच जाता है।
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पिता की मृत्यु के बाद संभाला परिवार को 
छोटी सी उम्र में पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। परिवार का बोझ कंधों पर आते ही निर्मल सिंह ने नौकरी की बजाए खेती को अपनाया। उनका कहना है कि अगर सही ढंग से खेती की जाए तो इससे बढ़िया कोई कारोबार नहीं है। वे ही किसान कर्ज की वजह से आत्महत्या करते हैं जो कर्ज का सही इस्तेमाल नहीं करते।
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अत्याधुनिक तकनीक से करते हैं खेती
निर्मल सिंह खेती के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। धान की रोपाई से पहले ट्रैक्टर से खेत को समतल नहीं करते, इससे खर्च की बचत होती है। रोपाई से पहले खेत में पानी छोड़ दिया जाता है। लेकिन ट्रैक्टर कभी नहीं चलाया। निर्मल सिंह बताते हैं कि इस तकनीक से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। पानी की खपत भी आधी रह जाती है। वे फव्वारा तकनीक से सिंचाई करते हैं। इससे भी खर्च कम होता है। इसके लिए वे स्वयं दो बार ब्रिटेन हो आए हैं। उन्होंने 1997 से लेकर अब तक कभी अपने खेतों में आग नहीं लगाई। निर्मल सिंह की कामयाबी को देख अब दूसरे किसान भी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को तरजीह देने लगे हैं।


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