Paris Olympics: कुश्ती का क्वार्टर फाइनल रोते हुए Nisha Dahiya ने खेला, हार के बावजूद पानीपत की छोरी ने जीता दिल
punjabkesari.in Monday, Aug 05, 2024 - 08:44 PM (IST)
डेस्कः भारत को मेडल की उम्मीद एथलेटिक्स में सबसे अधिक है। पेरिस ओलंपिक अपने मध्य पड़ाव तक पहुंच चुका है, लेकिन अभी तक भारतीय खिलाड़ी ब्रॉंज मेडल से आगे नहीं जा पाए हैं, लेकिन पानीपत की निशा दहिया ने कुश्ती में कमाल किया था। उन्होंने प्री क्वार्टर फाइनल में यूक्रेन की रेसलर को हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया। हलांकि इसके बाद क्वार्टर फाइनल में उन्होंने शानदार खेल दिखाया। पहले राउंड में दक्षिण कोरिया की रेसलर से 8 -1 से आगे थी। वह दूसरे राउंड में उनके हाथ में गंभीर चोट लग गई। जिसके बाद उन्होंने रोते हुए मुकबला पूरा किया। हलांकि वह ये मुकाबला हार गईं, लेकिन दिल जीत लिया।
13 वर्ष की उम्र से कुश्ती खेल रहीं निशा
ऐतिहासिक पानीपत की धरती पर जन्म लेने वाली निशा दहिया महज 13 वर्ष की उम्र से ही कुश्ती की ट्रेनिंग ले रहीं हैं। वह अपने परिवार में सबसे छोटी बेटी हैं। निशा ने अपने किसान पिता के सपने को पूरा करने के लिए कुश्ती के खेल को चुना।
जरूर मेडल जीतेगी निशाः निशा दहिया की मां
वहीं निशा की मां बबली ने बताया कि निशा शुरुआत से पढ़ाई से ज्यादा खेलकूद की तरफ आकर्षित थीं, इसलिए परिवार वालों ने उनको गांव निडानी जिला जींद में कुश्ती के अभ्यास के लिए भेज दिया था। निशा ने अंडर-16 2014 एशियन खेल थाईलैंड में पहला मेडल जीता था। आज पेरिस ओलंपिक में जब निशा कुश्ती के मैदान में उतरने वाली है। इस बड़े ही गर्व से बबली बतातीं हैं कि जब पहली बार मेडल निशा ने जीता तो पूरे गांव के लोग खुश हुए। उन्होंने कहा कि इससे पहले मेडल के बारे में उन्हें नहीं पता था। निशा की मां कहती हैं उनके ओलंपिक में जाना ही किसी मेडल से कम नहीं है। अंत में वह कहती हैं कि निशा जरूर मेडल लाएगी।
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