जींद : पंजाब के किसानों के लिए ग्रामीणों ने लगाया लंगर
punjabkesari.in Saturday, Nov 28, 2020 - 06:14 PM (IST)
जींद, 28 नवम्बर (भाषा) कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में धरना देने जा रहे पंजाब के किसानों के लिए हरियााणा के जींद में लोगों ने शनिवार को लंगर लगाया।
गांव शामलो कलां व पौली में ग्रामीणों ने रूके हुए किसानों के लिए शनिवार सुबह नाश्ते एवं भोजन का इंतजाम भी किया लेकिन किसानों की संख्या ज्यादा होने पर गांव के बसअड्डे के पास ही लंगर सेवा शुरू की गई।
पौली गांव के लोगों का कहना है कि जब तक किसानों का आवागमन और धरना जारी रहेगा यहां लंगर की सेवा जारी रहेगी। रूके किसानों के लिए ग्रामीणों ने जलघर के पास ट्यूबवैल से पानी का प्रबंध किया। बिजली ना होने पर जेनरेटर मंगवाया गया।
इस बीच, दिल्ली कूच कर रहे किसानों ने जुलाना क्षेत्र में कहा कि जो कानून सरकार ने लागू किए हैं वे किसी लिहाज से भी किसान के हित में नही हैं। पटियाला निवासी सरबजीत सिंह ने कहा कि बच्चों के सिर पर आखिरी बार हाथ रखकर आया हुं और बोलकर आया हुं कि अगर वो जीत कर आए तो ही गांव में कदम रखेंगे नही तो दिल्ली में ही रहेंगे।
लहरा गग्गा निवासी बलविंद्र ने कहा कि वो दिल्ली जाते समय कफन भी साथ लेकर आए हैं।
उधर, दातासिंहवाला बॉर्डर पर सरकारी व निजी गाड़ियों की तोड़-फोड़ के मामले में गढ़ी थाना पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ तोड़-फोड़ करने समेत विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
गढ़ी थाना प्रभारी विजेंद्र सिंह ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि व्यवस्था बनाए रखने के लिए गांव दातासिंहवाला बॉर्डर पर पुलिस ने नाका लगाया हुआ था। गत 26 नवंबर को कुछ लोगों ने बॉर्डर पर खड़ी सरकारी व निजी गाड़ियों को नुकसान पहुचाया। पुलिस कर्मियों ने जब उपद्रवियों को रोका तो उन्हें धमकी दी गई।
इस बीच, सीटू, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा, अखिल भारतीय किसान सभा, रिटायर्ड कर्मचारी संघ सहित कई अन्य संगठनों ने आंदोलनरत किसानों के समर्थन में शहर में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन से पहले कार्यकर्ता नेहरु पार्क में एकत्रित हुए और सभा की। इसकी अध्यक्षता पूर्व अध्यापक नेता सत्यपाल सिवाच ने की।
संगठनों के नेताओं ने आरोप लगाया कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने महामारी को मौके के रूप में प्रयोग करते हुए कृषि संबंधी तीन कानून लागू करके किसानों को कारपोरेट जगत का गुलाम बनाने की योजना बनाई है, इसके खिलाफ देशभर में किसान सड़कों पर हैं और इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दरवाजा खटखटाया है लेकिन वह किसानों का संज्ञान तक नहीं ले रहे।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
गांव शामलो कलां व पौली में ग्रामीणों ने रूके हुए किसानों के लिए शनिवार सुबह नाश्ते एवं भोजन का इंतजाम भी किया लेकिन किसानों की संख्या ज्यादा होने पर गांव के बसअड्डे के पास ही लंगर सेवा शुरू की गई।
पौली गांव के लोगों का कहना है कि जब तक किसानों का आवागमन और धरना जारी रहेगा यहां लंगर की सेवा जारी रहेगी। रूके किसानों के लिए ग्रामीणों ने जलघर के पास ट्यूबवैल से पानी का प्रबंध किया। बिजली ना होने पर जेनरेटर मंगवाया गया।
इस बीच, दिल्ली कूच कर रहे किसानों ने जुलाना क्षेत्र में कहा कि जो कानून सरकार ने लागू किए हैं वे किसी लिहाज से भी किसान के हित में नही हैं। पटियाला निवासी सरबजीत सिंह ने कहा कि बच्चों के सिर पर आखिरी बार हाथ रखकर आया हुं और बोलकर आया हुं कि अगर वो जीत कर आए तो ही गांव में कदम रखेंगे नही तो दिल्ली में ही रहेंगे।
लहरा गग्गा निवासी बलविंद्र ने कहा कि वो दिल्ली जाते समय कफन भी साथ लेकर आए हैं।
उधर, दातासिंहवाला बॉर्डर पर सरकारी व निजी गाड़ियों की तोड़-फोड़ के मामले में गढ़ी थाना पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ तोड़-फोड़ करने समेत विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
गढ़ी थाना प्रभारी विजेंद्र सिंह ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि व्यवस्था बनाए रखने के लिए गांव दातासिंहवाला बॉर्डर पर पुलिस ने नाका लगाया हुआ था। गत 26 नवंबर को कुछ लोगों ने बॉर्डर पर खड़ी सरकारी व निजी गाड़ियों को नुकसान पहुचाया। पुलिस कर्मियों ने जब उपद्रवियों को रोका तो उन्हें धमकी दी गई।
इस बीच, सीटू, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा, अखिल भारतीय किसान सभा, रिटायर्ड कर्मचारी संघ सहित कई अन्य संगठनों ने आंदोलनरत किसानों के समर्थन में शहर में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन से पहले कार्यकर्ता नेहरु पार्क में एकत्रित हुए और सभा की। इसकी अध्यक्षता पूर्व अध्यापक नेता सत्यपाल सिवाच ने की।
संगठनों के नेताओं ने आरोप लगाया कि जिस तरह से केंद्र सरकार ने महामारी को मौके के रूप में प्रयोग करते हुए कृषि संबंधी तीन कानून लागू करके किसानों को कारपोरेट जगत का गुलाम बनाने की योजना बनाई है, इसके खिलाफ देशभर में किसान सड़कों पर हैं और इन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दरवाजा खटखटाया है लेकिन वह किसानों का संज्ञान तक नहीं ले रहे।
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