आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की इमानदारी पर खड़े हुए सवाल? आरटीआई एक्टिविस्ट रविंद्र ने किया ये खुलासा

punjabkesari.in Thursday, Apr 21, 2022 - 09:13 PM (IST)

चंडीगढ़(धरणी): भ्रष्टाचार के खिलाफ निडर प्रयासों के लिए कई बार सम्मानित हो चुके वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अशोक खेमका की इमानदारी पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा हो गया है। मोटी रकम वसूल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में दो मैनेजर रैंक पर अपात्र लोगों को नियुक्तियां देने का यह आरोप  है। वर्ष 2009-10 में कांग्रेस शासनकाल के दौरान यह नियुक्तियां सभी नियमों को ताक पर रखकर की गई थी। उस समय खेमका हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के एमडी पद पर तैनात थे। विभाग की आंतरिक जांच में भी स्क्रीनिंग कमेटी ने इन भर्तियों को नियमों के खिलाफ बताया था। हैरानी की बात यह है कि आवश्यकता मात्र एक अधिकारी की थी और नियुक्तियां दो को दी गई। यह खुलासा आरटीआई एक्टिविस्ट रविंद्र ने किया है। जानकारी के अनुसार करप्शन मामले में भी सरकार से अनुमति की हो सकती जरूरत है।

एमडी संजीव वर्मा ने इस पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट मुख्य संजीव कौशल और कृषि विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा को भेजकर अशोक खेमका के खिलाफ चार्जशीट करने की सिफारिश भी की है। अशोक खेमका के विरुद्घ मंडलायुक्त करनाल एवं एमडी संजीव वर्मा की इस कार्रवाई से अफसरशाही में हड़कंप मचा हुआ है। वहीं एमडी के एफआइआर करने की सिफारिश पंचकूला पुलिस असमंजस में है। संजीव वर्मा ने उन दोनों अधिकारियों को भी निलंबित करने की सिफारिश कर दी है जिन्हें अशोक खेमका ने चयन किया था।

शिकायतकर्ता रविंद्र ने बताया कि 2009-10 में हरियाणा सरकार ने हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन को हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन में कुछ भर्तियां करने के लिए भेजा था। जिसे विज्ञापित किया गया। लेकिन पात्र कैंडिडेट ना मिलना कारण बताते हुए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने एक लेटर हरियाणा सरकार को लिखा। लेकिन हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के तत्कालीन एमडी अशोक खेमका द्वारा यह भर्तियां करने की इजाजत मांगी गई। जोकि मेरी आरटीआई में पूरा रिकॉर्ड है। हरियाणा सरकार द्वारा इसकी इजाजत दी गई थी। लेकिन भर्तियां पूरी तरह से नियमों को ताक पर रख की गई। विभाग की स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा भी इस चयनित प्रक्रिया और उम्मीदवारों की पात्रता को सही नहीं ठहराया गया। इनमें मैनेजर रैंक के दो लोग पीके गुप्ता और एसएस रंधावा अन्य राज्यों उत्तर प्रदेश और पंजाब से हैं। जबकि हरियाणा का स्थाई निवासी होना अनिवार्य था। इस भर्ती में यहां तक अनियमितता बरती गई कि 1 की जगह 2 अधिकारियों की भर्ती हो गई। 7 साल का एग्रीकल्चर एक्सपीरियंस की भी पात्रता को अनदेखा किया गया। स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा एतराज करने के बाद वह भी शांत हो गई। इस प्रकार की 25-26 अलग-अलग पोस्टों पर भर्तियां की गई हैं। यह एक बड़े घोटाले का मामला है। जिसमें मोटा लेन-देन हुआ है। संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का क्रिमिनल मामला दर्ज होना चाहिए।

रविंद्र ने बताया कि इन 25-26 भर्तियों में कुछ लोग फर्जी सर्टिफिकेट लेकर लगाए गए हैं। क्योंकि जो भर्तियां एचएसएससी नहीं कर पाया, इन्होंने कैसे कर दिया। स्क्रीनिंग कमेटी में विभाग के ही तीन-चार अधिकारी सम्मिलित है। आखिर वह चुप क्यों हुए। एक अधिकारी की जगह दो अधिकारियों की क्यों भर्ती हुई। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर और सिलेक्शन कमेटी को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई। रविंद्र ने बताया कि आरटीआई से 7 साल की लंबी लड़ाई लड़ी और सरकार के संज्ञान में इस मामले को लाया। लेकिन अंडर प्रेशर आज तक उचित कार्यवाही नहीं हुई। जिसकी शिकायत सेक्टर 5, पंचकूला थाना में फर्जी भर्ती घोटाले बारे मैंने दी थी। कमिश्नर पुलिस ऑफ पंचकूला ने 2016 में विभागीय जांच के लिए वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के पास पत्र भेजा था। लेकिन लंबे समय तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। आखिरकार 11 अप्रैल को मैंने एमडी वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन डॉ संजीव वर्मा को एक लीगल नोटिस देते हुए कहा कि आप के खिलाफ भी भ्रष्टाचार से संबंधित कार्यवाही बनती है। रविंद्र ने बताया कि मेरे इस लीगल नोटिस के बाद सेक्टर 5 पंचकूला थाना को इस कार्यवाही के आदेश एमडी ने दिए हैं। रविंद्र ने मांग की है कि बिना राजनीतिक दबाव के एफआईआर दर्ज होने के बाद इस पर निष्पक्ष जांच होनी अति आवश्यक है। यह मुद्दा यैट या बट पर नहीं टाला जा सकता। 2009-2010 में कांग्रेस राज में हुए इस स्कैम के बाद  12 साल तक इन लोगों ने अवैध तरीके से नौकरियां की, इतने समय के बाद कार्यवाही होना एक सचमुच अचरज भरी बात है।

रविंद्र ने कहा- कई बार मिल चुकी है धमकियां और हो चुके हैं हमले, लेकिन देश का सच्चा नागरिक हूं

रविंद्र ने यह भी स्वीकार किया कि इस मामले से संबंधित उन पर कई बार हमले भी हो चुके हैं और धमकियां भी दी जा चुकी हैं। लेकिन परमात्मा हर सच्चे इंसान की सुरक्षा करता है। जिस प्रकार से एक पत्रकार और फौजी अपनी जान की परवाह किए बगैर लोकतंत्र की- देश की रक्षा करता है। इसी प्रकार से मैं भी अपना काम कर रहा हूं। एक सच्चे भारतीय और सच्चे नागरिक का कर्तव्य अदा कर रहा हूं। अगर मैं गलत होता तो इस इतने बड़े लेवल के अधिकारी मेरे खिलाफ बड़ा षड्यंत्र रख सकते थे।

भ्रष्टाचार की लड़ाई में कई बार सम्मानित हो चुके हैं खेमका

बता दें कि अशोक खेमका वह शख्स हैं जो भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ने के लिए सुप्रसिद्ध है। भ्रष्टाचार के खिलाफ धर्म युद्ध के लिए 2011 में इन्हें एसआर जिंदल पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है। निडर प्रयासों के लिए श्री संजीव चतुर्वेदी के साथ 10 लाख रुपए का नगद पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके हैं। 1991 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी पश्चिम बंगाल के कोलकाता से संबंध रखते हैं और भ्रष्टाचार उन्मूलन के लिए राष्ट्रव्यापी प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके हैं। 30 साल की नौकरी के कैरियर के दौरान लगभग 5 दर्जन बार इनके तबादले हो चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बंसीलाल, चौ0 ओमप्रकाश चौटाला, चौ0 भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हाल में मनोहर लाल खट्टर के समय लगातार इनका तबादलों का सिलसिला जारी है। सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा और रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच संदिग्ध भूमिका और इनसे संबंधित भूमि घोटालों को लेकर इन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी थीं

 


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Content Writer

Vivek Rai

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