DSR धान की बुआई से प्रवासी मजदूरों को राज्य में आने पर लगा ब्रेक, किसानों को चुकानी पड़ रही महंगी कीमत

punjabkesari.in Tuesday, Jun 27, 2023 - 08:31 PM (IST)

ऐलनाबाद(सुरेंद्र सरदाना): ऐलनाबाद खण्ड में खेती की बात करे तो यहां अधिकांश क्षेत्रफल में धान की खेती होती है। आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है और मशीनीकरण के इस युग में खेती का अधिकांश काम अब मशीनों से होने लगा है। धान की रोपाई जो पहले हाथों से होती थी। अब दो तीन वर्षों से 50 % रकबा डीएसआर यानी सीधी बिजाई ट्रैक्टर चलित मशीनों से होने लगा है। ऐसे में डीएसआर यानी  सीधी धान की बिजाई से प्रवासी मजदूरों को उनके रोजगार छीनने के डर ने  उनके हरियाणा व पंजाब में आगमन पर ब्रेक लगा दिए है,लेकिन धान लगाने के मामले में किसान को आज भी मजदूरों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। वहीं इस बार धान की बिजाई करने में किसानों को पहले की तुलना दाम ज्यादा देने पड़ रहे हैं।

स्थानीय मजदूरों ने 3 हजार एकड़ रेट तय किया  

बता दें कि प्रवासी मजदूर धान लगाने के लिए दिल्ली के रास्ते से होते हुए बिहार से पंजाब और हरियाणा के धान बाहुल्य क्षेत्रों में आ कर मई माह में ही डेरा डाल लेते है। साथ ही क्षेत्र में धान लगाने का काम करते है। ऐसा माना जाता है कि बिहार के मजदूर लोगों को धान लगाने में महारत हासिल की है। पंजाब और हरियाणा के किसान प्यार से इन्हें बिहारी बाबू भी बुलाते है, लेकिन इस वर्ष हरियाणा में ऐसे प्रवासी मजदूर न के बराबर पहुंचे है। जिस की वजह से लोकल मजदूरों की चांदी बन गई है और धान लगाने के दाम 3 हजार रुपए प्रति एकड़ कर दिए है, जो कि गत वर्ष 2 हजार  रुपए तक थी। इस प्रकार लोकल मजदूर एक हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से रेट बढ़ा दिए है।

किसानों का कहना है कि हरियाणा सरकार ने किसान को सीधी धान की बिजाई के लिए 4 हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान की भी घोषणा की है, लेकिन सरकार को इसमें संशोधन करना होगा कि सरकार धान की 1401 किस्म जो लम्बी अवधि में पकने वाली किस्म है और कम अवधि में पकने वाली 1509 किस्म के मुकाबले दुगना समय लेती है और दो गुना ही पानी खर्च होता है। 1401 किस्म पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। ताकि सरकार का जो पानी बचाने का मन्तव्य है, वह सार्थक सिद्ध हो सके।  

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Content Editor

Ajay Kumar Sharma

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