हरियाणा व पंजाब सरकार के गले की फांस बनी SYL

punjabkesari.in Saturday, Aug 24, 2019 - 12:06 PM (IST)

फरीदाबाद (महावीर) : सतलुज  यमुना लिंक नहर (एस.वाई.एल.) मामले में सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बावजूद कोई समाधान निकलता दिखाई नहीं दे रहा। हरियाणा व पंजाब सरकार की तरफ से मुख्य सचिवों द्वारा जल शक्ति मंत्रालय दिल्ली में 2 बैठकें की जा चुकी हैं इसके बावजूद इस मामले का कोई समाधान नहीं निकला है।

ऐसा लग रहा है जैसे बैठकों में मात्र खानापूर्ति हो रही हो क्योंकि दोनों ही बैठकों में हरियाणा की तरफ से भाग लेने वाली मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा व पंजाब सरकार की ओर से शामिल होने वाले करण अवतार सिंह बैठक के बाद मीडिया से भागते नजर आए। इसके अलावा जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी मीडिया को कोई नोट जारी नहीं किया गया और न ही बैठक की कार्रवाई से अवगत कराया गया। अनुमान लगाया जा रहा है कि 3 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई दौरान कोई सकारात्मक कार्य दोनों सरकारों की ओर से शायद सामने आए। 

एस.वाई.एल.जिसे हरियाणा की जीवन रेखा कहा जाता है को लेकर पंजाब सरकार कोई ठोस निर्णय लेने के मूड में नजर नहीं आ रही है। 10 जुलाई को मामले में गंभीरता से आदेश जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली, पंजाब व हरियाणा तीनों सरकारें मिलकर एस.वाई.एल. मामले में आदेशों को लागू करें। यदि तीनों सरकारों ने निर्णय नहीं लिया तो कोर्ट पुन: 3 सितम्बर को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेशों को ध्यान में रखते हुए तीनों सरकारों ने समाधान निकालने का प्रयास किया और पहली बैठक 14 अगस्त को दिल्ली के जल शक्ति मंत्रालय में की जिसमें केंद्र सरकार के अधिकारियों, हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा व पंजाब सरकार के मुख्य सचिव करण अवतार सिंह ने हिस्सा लिया।

इसके बाद 21 अगस्त को पुन: बैठक की गई। दोनों ही बैठकों के बाद न तो पंजाब सरकार के मुख्य सचिव ने मीडिया को कोई जानकारी दी और न ही हरियाणा की मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने। वहीं जल शक्ति मंत्रालय के अधिकारियों ने भी कोई जानकारी नहीं दी। सूत्रों अनुसार अब तक हुई दोनों बैठकों में एस.वाई.एल. मामले को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई है। केंद्र सरकार के अधिकारी मध्यस्थता के बावजूद दोनों सरकारों के मुख्य सचिवों को इस मामले में संयुक्त रूप से सहमत करने में सफल नहीं हो पाए हैं।  

अपना हक नहीं छोड़ेगा हरियाणा
एस.वाई.एल. मामले में हुई 2 बैठकों की कार्रवाई आधिकारिक तौर पर तो किसी ने सांझा नहीं की लेकिन सूत्रों की मानें तो पानी को लेकर हरियाणा की ओर से लगातार मुख्य सचिव अपने हक पर अड़े रहे हैं। उधर,केंद्र सरकार के अधिकारियों की मध्यस्थता के बावजूद पंजाब के मुख्य सचिव करण अवतार सिंह अपनी सरकार की विवशता दिखाते नजर आए।  केंद्र सरकार के अधिकारियों ने मामले में सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैए का भी जिक्र करते हुए मामले को जल्द सुलझाने की बात दोनों बैठकों में कही लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है। शायद यही कारण है कि दोनों ही सरकारों के मुख्य सचिव बैठक खत्म होने के बाद मीडिया से बचते नजर आए। उधर, सरकार भी इस मामले को शायद तूल देने के मूड में नजर नहीं आ रही है। 


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Isha

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