निशान ने लौटा दी पहचान: बचपन में कुत्ते-बंदर ने दिया था दर्द, जवानी में वहीं जख्म बना दवा...पढ़ें पूरी खबर
punjabkesari.in Saturday, Sep 28, 2024 - 02:09 PM (IST)
हरियाणा डेस्क : किसी परिवार का मासूम बच्चा गुम हो जाए तो उससे बड़ा दुख हो ही नहीं सकता है। उस दर्द को शब्दों में बयां करना मुश्किल होता है, लेकिन जब बच्चा अचानक अपने परिवार के सामने आ जाए तो उस खुशी की भी कोई सीमा नहीं होती। ऐसा ही एक वाक्या हरियाणा के जिला पंचकूला पुलिस की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) के प्रयासों से सामने आ सका है। एएचटीयू टीम ने 11 साल पहले गुमशुदा हुए बच्चे को परिवार से मिलवाने में सफलता हासिल की है।
करनाल के तरावड़ी से बिछड़ा
सतबीर उर्फ टार्जन साल 2013 में हरियाणा के जिला करनाल के तरावड़ी में अपने परिवार से बिछड़ गया था। उस समय उसकी उम्र करीब 9 साल थी। आज वह 20 साल का हो गया है।सतबीर को राज्य अपराध शाखा की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) ममता सिंह की उपस्थिति में उसके बिछड़े परिवार से मिलवाया गया। बेटे के मिलने की खुशी में परिजन हरियाणा पुलिस का धन्यवाद करते नहीं थक रहे हैं। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की इस उपलब्धि पर डीजीपी हरियाणा शत्रुजीत कपूर ने पूरी टीम को शुभकामनाएं देते हुए उन्हें भविष्य में इसी प्रकार उत्कृष्ट प्रदर्शन को प्रेरित किया।
यह था मामला
सतबीर उर्फ टार्जन नामक गुमशुदा बच्चा 11 साल पहले करनाल से लापता हो गया था। सितंबर 2013 में जिला करनाल के तरावड़ी पुलिस थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गई। सतबीर को खोजने के लिए 5 हजार रुपए का इनाम भी रखा गया था। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट को गुमशुदा सतबीर को तलाशने संबंधी फाइल सौंपी गई। जांच टीम ने सतबीर की माता से संपर्क किया, जिन्होंने बताया कि उनके बेटे के हाथ पर कुत्ते के काटने का निशान और बाएं हाथ पर बंदर के काटने का निशान है। उन्होंने बताया कि सतबीर के पिता का स्वर्गवास हो चुका है, वह अपने बेटे का वर्षों से इंतजार कर रही हैं। इसके बाद एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने अथक प्रयास करते हुए गुमशुदा सतबीर की तलाश शुरू की।
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