जो पुरानी पेंशन बहाल करेगा, वही देश पर राज करेगा: धालीवाल
punjabkesari.in Monday, Aug 21, 2023 - 11:41 PM (IST)
चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): प्रदेश के कर्मचारियों द्वारा उठाया जाने वाले इस मुद्दे का राजनीतिक गलियारों में भी गूंजना तय है। सोमवार को पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति का एक डेलिगेशन वित्त विभाग के अधिकारियों से मिलने चंडीगढ़ सेक्टरेट पहुंचा। समिति के अध्यक्ष विजेंद्र धालीवाल ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा 28 अक्टूबर 2005 से पहले हुई नौकरियों की सारी एडवर्टाइजमेंट के बाद जो 2007 में जॉइनिंग हुई, उसमें कर्मचारी को ओल्ड पेंशन स्कीम चुनने का विकल्प दिया गया था। जिसमें स्वेच्छा से कर्मचारियों को छूट थी। उसके माध्यम से हमारे अधिकतर कर्मचारी स्कीम का लाभ उठाना चाहते हैं।
इस नोटिफिकेशन के बाद फील्ड में किसी भी अधिकारी के पास इस तरह की हिदायतें सरकार द्वारा नहीं पहुंचाई गई। कर्मचारी भटक रहे हैं। क्योंकि 31 अगस्त इसकी अंतिम तिथि है। उसके बाद सरकार इस ऐप को बंद कर देगी और कहा जाएगा कि कर्मचारियों ने ओल्ड पेंशन का विकल्प नहीं चुना। इसलिए अंतिम तिथि को आगे बढ़ाने की मांग लेकर डेलिगेशन वित्त विभाग के अधिकारियों से मिला। धालीवाल ने बताया कि 2006 के बाद भर्ती हुए लगभग 1 लाख 80 हजार कर्मचारी एनपीएस ( न्यू पेंशन स्कीम) में है। लेकिन ओल्ड पेंशन स्कीम में जाना चाहते हैं और लगातार इसके लिए प्रयासरत हैं। 19 फरवरी को भी इसके लिए कर्मचारियों द्वारा रैली निकाली गई। जन जागरूकता यात्रा के माध्यम से आम जन तक भी बात पहुंचाने की कोशिश की थी।
धालीवाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों ने वोट फॉर ओ पी एस की मुहिम शुरू की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बार-बार आग्रह- धरने- प्रदर्शन- रैलियां और बहुत सी बैठको के बावजूद कर्मचारियों की बात नहीं सुनी, नहीं मानी। हरियाणा की तरह वहां भी एक कमेटी का गठन किया गया था, लेकिन समाधान नहीं हुआ। मजबूरन वोट फॉर ओपीएस महिम शुरू की गई और हिमाचल में 8-9 सीटों पर हार जीत का अंतर मात्र कर्मचारियों के पोस्टल पेपर जितना रहा। अगर हरियाणा सरकार का भी रवैया हिमाचल की तत्कालीन सरकार की तरह रहा तो उन्होंने कहा कि यहा भी हमारा कोई ना कोई इसी प्रकार का फैसला रहेगा।
धालीवाल ने कहा कि कर्मचारी भी सरकार का हिस्सा है। सरकार की नीतियों को आम जनता तक कर्मचारी ही पहुंचाता है। कर्मचारी सरकार के दोनों हाथ हैं। अगर सरकार कर्मचारियों के भविष्य के प्रति सचेत नहीं, उन्हें सामाजिक सुरक्षा नहीं देना चाहती तो 5 साल में एक ही अधिकार वोट का अधिकार जो है उसे लेकर फैसला होगा। अगर सरकार नहीं मानी तो ऐसी सरकार जो पहले कैबिनेट में ओ पी एस को बहाल करने के आश्वस्त करेगी, उसकी तरफ कर्मचारी अग्रसर होगा।
धालीवाल ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा ओ पी एस लागू करने के आश्वासन को लेकर कहा कि लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष दो कड़ियां है। अगर सरकार किसी मुद्दे को नहीं सुनती तो विपक्ष का दायित्व है कि आम जनता की आवाज बने और विपक्ष अगर आज हमारी आवाज उठा रहा है तो उनका धन्यवाद है। उन्होंने कहा कि हम 2018 से लगातार पक्ष विपक्ष के नेताओं से मिल रहे हैं, पत्र लिख रहे हैं। कार्यक्रम में भी अपनी बात लेकर जाते हैं। हमने सभी विधायकों मंत्रियों तक अपनी बात को पहुंचाया है कि 6- 7 महीने का समय है जो पेंशन बहाल करेगा, वही देश पर राज करेगा।
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