नेशनल चैंपियन होने के बावजूद मजदूरी के लिए मजबूर हरियाणा का ये खिलाड़ी(video)

punjabkesari.in Saturday, May 12, 2018 - 08:20 PM (IST)

रोहतक(दीपक भारद्वाज): प्रदेश में खेल निति का दम भरने वाली बीजेपी सरकार के सामने वुशु में सात बार नेशनल चैम्पियन रहा खिलाड़ी बेबस नजर आता है। देश के लिए तमगे लेने वाले खिलाड़ी ने ही मैडल बेचने की गुहार लगा डाली ताकि वो इन्हें बेच कर परिवार का पेट पाल सके। वुशु में नौ बार स्टेट और सात बार राष्ट्रीय चैंपियन बनने के बाद यह खिलाडी भूखे मरने की कगार पर है।

PunjabKesari

सीएम और पीएम तक लगाई गुहार, किसी ने नहीं सुनी
दरअसल, रोहतक के लाखनमाजरा का संजय भले ही मैदान में जीत गया हो, पर हालात से इस कदर हारा कि उसे अब वुशु नहीं, सिर्फ रोटी की चिंता सताती रहती है। संजय अपना और परिवार का पेट पालने के लिए दिहाड़ी मजदूरी करने पर विवश है। पैसे के अभाव में वह ट्रायल देने तक नहीं पहुंच सका और खेल से उसका साथ लगभग छूट गया है। संजय को मलाल है कि देश में सबसे बेहतर खेल नीति का दावा करने वाले प्रदेश में ही उसकी प्रतिभा दम तोड़ रही है। रोजगार के लिए संजय ने सीएम से लेकर पीएम तक गुहार लगा डाली पर स्थिति ना बदल सकी।

मजदूरी से होता परिवार का पालन-पोषण
लाखनमाजरा के गरीब परिवार में जन्मा संजय पांच भाइयों में तीसरे नंबर पर है। अनुसूचित जाति में शामिल परिवार की गुजर बसर मजदूरी से होती है। पिता का साया संजय के सिर से कई साल पहले ही उठ चुका है और बुजुर्ग मां अक्सर बीमार रहती है। संजय का कहना है कि दिहाड़ी से ही काम चलता है। आधी दिहाड़ी तो मां के इलाज पर ही खर्च हो जाती है। इतने साल अभ्यास और खेल में जुटे रहने के चलते वह दिहाड़ी का अभ्यस्त नहीं है, मगर पेट पालने के लिए ऐसा करना मजबूरी है।

PunjabKesari

14 साल की कड़ी मेहनत के बाद भी मजदूरी के लिए विवश
 संजय कहता है कि 14 साल खेल में मेहनत इसी उम्मीद से की थी कि कोई अच्छा मुकाम मिलेगा। मेडल मिले, सम्मान मिला पर भूखे पेट ने मजदूरी के लिए विवश कर दिया। सम्मान पत्रों के उसके पास ढेर लगे हैं लेकिन वह सब पत्र और पदक उसे एक नौकरी नहीं दिला सके। 2013 में मलेशिया में आयोजित 12वीं सीनियर वुशु प्रतियोगिता में जब वह आर्मेनिया के खिलाड़ी के साथ मुकाबला कर रहा था तो उसी समय पिता का देहांत हो गया। इस घटना को याद करते हुए संजय को मलाल है कि अपने पिता की अर्थी को कंधा देने तक के लिए नहीं पहुंच पाया। साथ ही संजय ने पेट भरने के लिए इनाम में मिले मैडलों को बेचने की गुहार लगा डाली संजय का कहना है की ये मैडल और सर्टिफिकेट उनके लिए रद्दी और लोहे के टुकड़े से जयादा कुछ नहीं हैं।

PunjabKesari

बड़ा खिलाड़ी होने के नाते ग्रामीण दे देते हैं दिहाड़ी का काम
संजय की पत्नी सोनू का कहना है कि मेरे पति बड़े खिलाड़ी है पर पेट पालने के लिए उन्हें दिहाड़ी मजदूरी के लिए सुबह जाना पड़ता है। हमारे पास एक बच्चा है लेकिन उसका भविष्य भी अधर में है। वहीं दूसरी और संजय को काम देने वाले ग्रामीणों का कहना है की संजय बड़ा खिलाडी है इसलिए भी ग्रामीण मज़दूरी का काम दे देते है ताकि वो अपने परिवार का भरण पोषण कर सके।

करियर की शुरूआत की और लिखी नई इबारत
संजय 9  बार स्टेट और 7 बार नैशनल गोल्ड मैडलिस्ट रहा है। पहली बार सन 2004 में  रेवाड़ी में आयोजित स्टेट वुशु प्रतियोगिता में भाग लिया और रजत पदक प्राप्त किया। उसके बाद संजय ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और प्रतियोगिता दर प्रतियोगिता कामयाबी नई इबारत लिखी।  वुशु की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं 6 बार सोना 3 बार रजत और 2 कांस्य पदक हासिल किए। एक बार एसजीएफआई गेम्स में भी गोल्ड जीता। 2008 में इंडोनेशिया में आयोजित दूसरी वल्र्ड जूनियर वुशु चैम्पियनशिप व 2013 में मलेशिया में आयोजित 12वीं सीनियर वुशु प्रतियोगिता में भाग लिया। 2008 में संजय को इण्डिया बेस्ट प्लयेर अवार्ड से भी नवाजा गया है।

PunjabKesari

ये हैं संजय की उपलबि्धयां
2004: स्टेट वुशू प्रतियोगिता रेवाड़ी रजत पदक 
2005: राष्ट्रीय वुशू प्रतियोगिता चंडीगढ़ स्वर्ण पदक 
2006: राष्ट्रीय वुशू प्रतियोगिता मध्य प्रदेश कांस्य पदक 
2007: राष्ट्रीय वुशू प्रतियोगिता चंडीगढ़ स्वर्ण पदक 
2008: राष्ट्रीय वुशू प्रतियोगिता भोपाल मध्य प्रदेश स्वर्ण पदक 
2009: हरियाणा स्टेट गेम्स  स्वर्ण पदक 
2010: राष्ट्रीय सीनियर वुशू प्रतियोगिता स्वर्ण पदक 
2011: राष्ट्रीय सीनियर वुशू प्रतियोगिता हरिद्वार स्वर्ण पदक
2012:  राष्ट्रीय सीनियर वुशू प्रतियोगिता जम्मू कश्मीर रजत पदक 
2013: राष्ट्रीय सीनियर वुशू प्रतियोगिता कलकत्ता स्वर्ण पदक 
33वीं नेशनल गेम्स रांची कांस्य पदक 
34वीं नैशनल गेम्स केरल रजत पदक 
2008: व 2010 बेस्ट प्लेयर अवार्ड 
2008: दूसरी वल्र्ड जूनियर वुशु चैम्पियनशिप इंडोनेशिया में भागीदारी 
2013: 12वीं सीनियर वुशु प्रतियोगिता में मलेशिया में भागीदारी 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Shivam

Recommended News

Related News

static