निजस्वार्थ से ऊपर उठकर एक साधु ये भी, जनकल्याण के लिए त्याग दिया अन्न जल

punjabkesari.in Friday, Sep 29, 2017 - 03:30 PM (IST)

टोहाना(सुशील सिंगला): आज नवरात्रि का 9वां दिन है। नवरात्रि में माता को प्रसन्न करने के लिए भक्त माता की पूजा-अर्चना, अखंड ज्योति, खेत्री बीजना अौर कन्या पूजन जैसे धार्मिक कार्य करते हैं। वही नाथ संप्रदाय के एक साधु बालकनाथ ने निजस्वार्थों को त्याग कर जनकल्याण के लिए नवरात्रों में गर्भजून समाधी ले रखी है अर्थात उन्होंने नवरात्रि पर्व पर अपने पूरे शरीर पर जौ उगवाए। नवरात्र से चार दिन पहले उनके गुरु महंत चांदनाथ योगी का निधन हुआ था।
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15 दिन छोड़ा देते हैं अन्न अौर जल
गर्भजून समाधी में व्यकित को कच्ची जमीन पर लेटकर अपने ऊपर मिट्टी डाल कर जौ उगा दिया जाता है। इस बीच तपस्या रत व्यक्ति नौ दिन से पहले नहीं उठता। उसे अन्न जल का त्याग करना होता है जिससे कि व्रत के दौरान मल-मूत्र बाधक न बने। इसके लिए पूर्व तैयारी 15 दिन पहले करनी होती है। 

आज के दिन किया तपस्या का समापन
पिछले 6 साल से योगी बालक नाथ जमीन पर लेटकर अपने ऊपर जौ उगाने की क्रिया के साथ नवरात्र व्रत रखते आ रहे हैं। हर साल वह किसी नई जगह व्रत पूरा करते हैं और इस बार उनका संकल्प फतेहाबाद जिले के टोहाना में शिव नंदीशाला में संपन्न हुआ। इस बारे में शिव नंदीशाला के मैनेजर धर्मपाल सैनी बताते हैं कि योगी बालक नाथ ने उनके पास आकर यहां पर माता के नवरात्रों में तपस्या करने की इच्छा जताई। अब शुक्रवार को नौवीं के दिन उन्होंने अपनी तपस्या का समापन किया है।
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6 सालों से शरीर पर उगा रहे जौ
योगी बालक नाथ ने बताया कि वह पिछले 6 साल से ऐसा करते आ रहे हैं और हर साल नई जगह पर रहकर अपने अंदाज में नवरात्र व्रत रखते हैं। 12 नवरात्र तपस्या का संकल्प पूरा कर चुके योगी बालक नाथ ने यह भी बताया कि इसके लिए वह 15 दिन पहले ही तैयारी शुरू कर देते हैं। अन्न-जल छोड़ देते हैं, ताकि व्रत के दौरान मल-मूत्र बाधक न बनें। जब कण्ठ सूखता है तो ऊपर से कुछ पानी लगा लेते हैं। नौ दिन तक माता गर्भ में रही थी उसके प्रतीक के तौर पर यह किया जाता है।

12 साल की उम्र में ली थी दीक्षा
योगी बालक नाथ जी का जन्म गांव कोहराणा, बहरोड़ जिला अलवर में 1986 में हुआ। सिफ 12 साल की उम्र में इनके पारिवारिक सदस्य बाबा मस्तनाथ की मन्नत स्वरूप इन्हें नाथ संप्रदाय में दीक्षित करने के लिए समर्पित कर गए थे। इसके बाद से महंत चांदनाथ शिष्य रूप में सेवारत रहे। 15 साल तक डेरा हनुमानगढ़ में कोठारी के कार्यभार को संभाला। ये वही डेरा है और पदभार है, जहां गुरु चांदनाथ भी महंत बनने से पूर्व शिष्य स्वरूप अपने गुरु श्रद्धेय श्रेयोनाथ के आदेशानुसार कार्यरत थे। बाबा बालकनाथ ने अस्थल बोहर स्थित बाबा मस्तनाथ स्कूल में ही शिक्षा ग्रहण की और नौवीं तक शिक्षा लेने के बाद भक्ति में लीन हो गए।

जुलाई 2016 में बने उत्तराधिकारी
अलवर के सांसद एवं रोहतक अस्थल बोहर स्थित बाबा मस्तनाथ मठ के गद्दीनशीन महंत चांद नाथ योगी बीमार रहने लग गए तो उन्होंने जुलाई 2016 में योगी बालक नाथ को अपने उत्तराधिकारी के रूप में घोषित कर दिया था। इस दौरान जहां यूपी के सीएम (तत्कालीन गोरखपुर सांसद) योगी आदित्यनाथ, योगगुरु बाबा रामदेव समेत कई बड़ी हस्तियों ने बालक नाथ को आशीर्वाद दिया था, वहीं अब गुरु के निधन के बाद जब इन्हीं गद्दी पर बिठाया गया तो भी रामदेव, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर समेत कई राजनीतिक व धार्मिक हस्तियां समारोह में शामिल हुई।
 


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