धूल के गुबार में घुट रहा दो गांवों का दम, ग्रामीण गांव छोडऩे को मजबूर

punjabkesari.in Tuesday, Jun 01, 2021 - 06:31 PM (IST)

नारनौल (भालेन्द्र): जहां एक तरफ पूरे देश में कोरोना का खौफ बना हुआ है, वहीं इसके साथ नारनौल के दो गांव धोलेडा व मेघोत प्रदूषण की मार झेलने को मजबूर हैं। दरअसल, क्रैशर व खदान से निकलने वाले डंपर इन दोनों गांव के बीचो-बीच से निकलते हैं, जिस कारण उडऩे वाली धूल से ग्रामीण इतने परेशान हैं, यहां तक कि वह गांव छोडऩे तक को मजबूर हैं। साथ ही ग्रामीणों में बीमारियों का भय भी बना हुआ है।

एसटीपी की आड़ में खेला जा रहा बड़ा खेल
क्षेत्र डार्क जोन होने के कारण क्रैशर व पत्थर खदानों में एसटीपी नारनौल ने पानी के छिड़काव के लिए निर्देश जारी किए हुए हैं्र लेकिन ग्रामीण बताते हैं कि पानी का छिड़काव कहीं नजर नहीं आता। एसटीपी यानी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का पानी सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। एसटीपी के अधिकारी मिलीभगत करके बड़े पैमाने पर इस खेल को अंजाम देते हैं।

गांव से लेकर पत्थर खदान व कै्रैशर जोन तक सड़क कहीं दिखाई ही नहीं देती। सड़क के नाम पर सिर्फ गड्ढे ही दिखाई देते हैं, जिस कारण यहां आए दिन हादसे भी होते रहते हैं। साथ ही सड़क ना होने के कारण जब डंपर यहां से निकलते हैं तो इतनी धूल मिट्टी का गुबार उठता है कि सांस लेना भी दूभर हो जाता है।

ऐसे में ग्रामीण कई बार जिला प्रशासन व संबंधित विभाग से इस सड़क के निर्माण की मांग भी कर चुके हैं, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला है। अब देखना यही होगा कि कब तक इस सड़क का निर्माण हो पाता है और कब तक एसटीपी के पानी का उचित छिड़काव होता है, ताकि ग्रामीणों को इस धूल मिट्टी से राहत मिल सके। 
 

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Content Writer

Shivam

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