एयर होस्टेस गीतिका सुसाइड केस: हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री गोपाल कांडा को कोर्ट ने किया बरी, पढ़िए क्या था पूरा मामला
punjabkesari.in Tuesday, Jul 25, 2023 - 11:04 AM (IST)

नई दिल्ली(कमल कंसल): हरियाणा के बहुचर्चित एयर होस्टेस गीतिका सुसाइड केस में कोर्ट ने बरी कर दिया है। इसी मामले को लेकर पहले कांडा 18 महीने की सजा काट चुके है। दिल्ली की रेवेन्यू कोर्ट आज इस केस में फैसला सुना दिया है। इस केस में मुख्य आरोपी गोपाल कांडा के अलावा MDLR कंपनी की मैनेजर अरुणा चड्ढा भी आरोपी था, उसे भी कोर्ट ने बरी कर दिया है।
आपको बता दें कि 5 अगस्त 2012 को एयर होस्टेस गीतिका शर्मा ने सुसाइड किया था। इस दौरान उन्होंने एक सुसाइड नोट छोड़ा था जिसमें उसने अपनी मौत के लिए गोपाल कांडा और MDLR कंपनी की मैनेजर अरुणा चड्ढा को जिम्मेदारी ठहराया था। गीतिका ने गोपाल कांडा पर दुष्कर्म और अप्राकृतिक यौन संबंध के भी आरोपी लगाए थे. वहीं गीतिका की मौत के करीब छह महीने बाद उनकी मां अनुराधा शर्मा ने भी सुसाइड कर लिया था।
कांडा को छोड़नी पड़ी थी कुर्सी
गीतिका सुसाइड केस में आरोपी गोपाल कांडा तब हरियाणा की हुड्डा सरकार में गृह राज्यमंत्री थे। गोपाल कांडा ने निर्दलियों के साथ मिलकर हुड्डा सरकार को समर्थन दिया था। बदले में हुड्डा सरकार में उन्हें गृह राज्यमंत्री का पद मिला। गीतिका सुसाइड कांड में नाम आने के बाद गोपाल को अपना मंत्री पद छोड़ना पड़ा और उन्हें तिहाड़ जेल में रहना पड़ा।
कांडा ने 2019 के विधानसभा चुनावों में निभाई अहम भूमिका
हरियाणा भाजपा ने इन सभी वर्षों में कांडा से एक सामरिक दूरी बनाए रखी है, उन्हें कोई पद नहीं दिया है, हालांकि उन्होंने राज्य में मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को बिना शर्त समर्थन की घोषणा की थी। जब 2019 के विधानसभा चुनावों में खंडित जनादेश आया और भाजपा 90 सदस्यीय सदन में साधारण बहुमत के निशान से छह पीछे रह गई, तो सिरसा विधायक ने खुद को एक महत्वपूर्ण भूमिका के लिए तैनात किया था। हालाँकि, उनकी बोली तब विफल हो गई जब वरिष्ठ भाजपा नेता उमा भारती ने ट्वीट्स की एक श्रृंखला में राज्य इकाई को 'स्वच्छ' छवि वाले नेताओं से समर्थन मांगने की सलाह दी। 2019 के विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग को दिए गए कांडा के हलफनामे के अनुसार, उनके खिलाफ विभिन्न अदालतों में आत्महत्या के लिए उकसाने, आपराधिक साजिश, जालसाजी, धोखाधड़ी और चेक बाउंस सहित नौ आपराधिक मामले लंबित हैं।

वर्षों तक रहे बीजेपी पार्टी से दूर
2012 में गीतिका आत्महत्या मामले के बाद गोपाला कांडा को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा और वो जेल भी गए। जेल से आकर गोपाल कांडा ने 'हरियाणा लोकहित' नाम की पार्टी बनाई थी, इससे वह सिरसा से ही 2014 का विधानसभा चुनाव भी लड़े थे। उसके बाद 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में भी गोपाल कांडा ने जीत हासिल कर हरियाणा विधानसभा में प्रवेश किया। 2019 के चुनाव में जीत के बाद गोपाल कांडा ने बिना शर्त सतारूढ़ बीजेपी को अपना समर्थन देने का एलान किया था। लेकिन इस मामले के मीडिया में उठने के कारण बीजेपी ने कांडा से समर्थन लेने से इंकार कर दिया था। हालांकि गोपाल कांडा ने साल 2021में हरियाणा विधानसभा में विश्वासमत के दौरान अपना वोट खट्टर सरकार के पक्ष में ही डाला था और उसके बाद हुए राज्यसभा चुनाव में बीजेपी समर्थित उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा के पक्ष में अपना मत दिया था। गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा बीजेपी के सदस्य थे और उन्होंने बीजेपी की टिकट पर साल 2021 में हुआ ऐलनाबाद उपचुनाव लड़ा था।
ये है गोपाल कांडा की अर्श से फर्श तक की कहानी
हरियाणा के सिरसा जिले के बिलासपुर गांव के गोपाल गोयल कांडा का विवादों से गहरा नाता रहा है। वह, सिरसा जिले की सब्जी मंडी में ‘नाप तौल’ करते थे। मापतौल में तराजू (कांडा) का इस्तेमाल होता है, इसलिए उनका नाम भी कांडा पड़ गया हालांकि, गोपाल गोयल के पिता मुरलीधर गोयल की गिनती सिरसा के नामी वकीलों में हुआ करती थी। गोपाल कांडा पिता की तरह सफल होना चाहते थे तो उन्होंने कारोबार शुरू कर दिया। चप्पल और जूतों की दुकान खोली। इससे पहले उन्होंने टीवी रिपेयरिंग का काम भी किया। जूतों का शोरूम खोलने के बाद कारोबार अच्छा चला तो कांडा ने भाई के साथ मिलकर जूते बनाने की फैक्ट्री ही खोल ली। यहां से कांडा की किस्मत बदली।

जेजेपी के आने के बाद हुआ बड़ा बदलाव
1990 के दशक में सिरसा में अपने भाई के साथ जूते की दुकान चलाने से लेकर अपनी खुद की एयरलाइंस, अब बंद हो चुकी एमडीएलआर एयरलाइंस शुरू करने तक, कांडा ने पहलेहरियाणा के दिवंगत मुख्यमंत्री बंसी लाल के साथ गठबंधन किया, लेकिन जब इनेलो आई तो उन्होंने अपनी वफादारी चौटाला के प्रति बदल ली। , 2009 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और उन्होंने निर्दलीय के रूप में सिरसा से जीत हासिल की।
कांडा को छोड़नी पड़ी थी कुर्सी