महिला थानों में नहीं हो रही पीड़िता की सुनवाई
punjabkesari.in Saturday, Feb 18, 2017 - 10:22 AM (IST)
अंबाला शहर (रीटा शर्मा):प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां देश में बेटी बचाने और बेटी पढ़ाने का सपना देख रहे हैं, वहीं प्रदेश पुलिस प्रधानमंत्री के इस सपने को धूमिल करने पर तुली है। यूं तो महिला अपराध पर नकेल कसने के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से करीब 2 वर्ष पहले रक्षाबंधन के दिन जिला मुख्यालयों पर महिला थानों की स्थापना की गई थी, लेकिन उनकी कार्यशैली ऐसी है कि महिला आयोग के सदस्यों को महिलाओं पर हुए अत्याचारों के मामले दर्ज करवाने के लिए खुद थानों में आना पड़ता है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि महिला अधिकारी महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के प्रति कितने गंभीर हैं। हाल ही एक पीड़िता महिला का मामला, अम्बाला महिला थाने पहुंचा, जिसमें महिला थाना अधिकारियों के कार्रवाई न करने पर पीड़िता की शिकायत पर खुद महिला आयोग की चेयरपर्सन कमलेश पांचाल ने थाने में पहुंचकर थाना इंजार्च को आरोपियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए।
यह था मामला
दरअसल, अम्बाला कैंट की एक युवती ने महिला आयोग को शिकायत दी थी कि कैंट निवासी एक युवक ने जब वह नाबालिग थी उसे धोखे में रखकर उसका शोषण किया। इसके बाद वह गर्भवती हो गई। जब उसने शादी करने की बात कही तो वह उसे धोखे में रखता रहा। इस कारण वह दोबारा गर्भवती हो गई। पीड़िता ने आरोप लगाया कि आज तक उसे उसके बच्चों के बारे में नहीं बताया कि वह कहां और किस हाल में है। इसके अलावा उसके पति ने इन केसों से बचने के लिए 19 अगस्त 2015 को उससे शादी रचा ली। पीड़िता का आरोप है कि उसके पति सहित उसके परिजनों ने उसके साथ अभद्र व्यवहार सहित मारपीट की। यही नहीं वे उसे जान से मारने की धमकी भी देते हैं। पीड़िता के मामले में महिला थाने में कोई कार्रवाई न होने पर पीड़िता ने इसकी शिकायत महिला आयोग को दी, जहां आयोग की चेयरपर्सन में मामले में थाना प्रभारी को इस मामले में उचित कार्रवाई के निर्देश दिए। इससे पूर्व भी आयोग सदस्य सुमन दहिया में महिलाओं पर हुए अत्याचारों पर मामला दर्ज करवाने के लिए महिला थाने में पहुंच चुकी है।