पहलवान दीपक पुनिया ने रचा इतिहास, 18 साल बाद जूनियर विश्व चैम्पिनयशिप में जीता गोल्ड मैडल

punjabkesari.in Friday, Aug 16, 2019 - 09:22 AM (IST)

झज्जर (प्रवीण धनखड़):  भारत के पुरुष पहलवान दीपक पुनिया ने बुधवार को जूनियर विश्व चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया है। दीपक ने रूस के एलिक सेबुजुकोव को 86 किलोग्राम भारवर्ग के मुकाबले में मात देकर यह खिताबी जीत हासिल कर इतिहास रचा है। दीपक जूनियर विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में 18 साल बाद भारत के लिए स्वर्ण जीतने वाले खिलाड़ी बन गए हैं। दीपक ने पिछले साल इस टूर्नामेंट में रजत पदक अपने नाम किया था। वहीं विक्की चहर ने 92 किलोग्राम भारवर्ग में कांस्य पदक जीता है। उन्होंने मंगोलिया के बाटमागनई इंखतुवशिन को मात दे कांसा अपनी झोली में डाला। 
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19 साल के दीपक ने कजाकिस्तान में होने वाली सीनियर विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप के लिए भी भारतीय टीम में जगह बना ली है। वह 14 से 11 सितंबर तक होन वाले टूर्नामेंट में 86 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह विश्व चैम्पियनशिप टोक्यो ओलम्पिक-2020 का भी हिस्सा होगी।  दूध बेच कर दीपक को इस मुकाम तक पहुंचाने वाले उसके पिता सुभाष की आंखों व चेहरे पर कुछ अलग तरह की चमक दिखाई देती है। पिता सुभाष जहां दीपक की मेहनत से खुश है वहीं दीपक की मां व बहनों के अलावा उसकी दादी भी काफी खुश दिखाई दे रही है। ग्रामीण सुभाष के यहां पहुंच कर दीपक के गोल्ड जीतने पर उसे बंधाई दे रहे है वहीं दीपक के गांव आने पर उसका गाजे-बाजे के साथ स्वागत करने की तैयारी हो रही है।

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पिता सुभाष का कहना है कि दीपक बचपन से ही मेहनती है और उसने इससे पहले भी कई मैडल हासिल किए है। मां कहती है कि दीपक के गोल्ड जीतने पर वह खुश तो है लेकिन अपनी खुशी का इजहार वह दीपक के आने पर अपने हाथों से मिठाई खिलाकर जाहिर करना चाहती है। दीपक की दादी का कहना है कि जब दीपक घर आएगा तो उसे गांव की मान्यता अनुरूप दादा समाध वाले मंदिर पर ले जाकर मत्था टिकवाया जाएगा। गांव छारा के सरपंच बबलू का कहना है कि बेशक वह मौजूदा समय में गांव के सरपंच है लेकिन उन्होंने दीपक को कुश्ती के गुर सिखाने में काफी मेहनत की है। दीपक की कुश्ती के प्रति मेहनत को उन्होंने काफी करीब से देखा है। गांव चाहता है कि दीपक अब ओलम्पिक में गोल्ड मैडल हासिल करने के लिए मेहनत करे और उस मुकाम को हासिल करे।  
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Isha

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