इन्होंने 7 साल में कुरान के 114 अध्यायों को लिखा खून से

punjabkesari.in Thursday, Dec 31, 2015 - 02:28 PM (IST)

रोहतक (मैनपाल) : किसी भी धर्म ग्रंथ में हिंसा का कोई स्थान नहीं। हर धर्म ग्रंथ आपसी मोहब्बत, अमन-शांति की प्रेरणा देता है। यहीं संदेश इनमें निहित है। महज, आवश्यकता है तो उनके अध्ययन, पठन और मनन की। विडंबना है कि धर्म ग्र्रंथों के आधी-अधूरी या यूं कहें कि न के बराबर जानकारी रखने वाले लोग ही देश की अखंडता व एकता को ठेस पहुंचा रहे हैं।

इस संंबंध में इस तरह के लोगों से जवाब तलब करने वाला कोई नहीं। पंरतु इसी धरा पर ऐसा शख्स भी मौजूद है,जिन्होंने अपने खून से गीता व कुरान को सींच कर, इन  सब चीजों से पार पाने का प्रयास किया है। उनका मानना है कि ग्रंथ में निहित सच्चाई को पहचानों और उन लोगों के ओजस्वी भाषण, विचारों को बेवजह तूल न दें, जो धर्म के नाम पर देश को तोडऩे की बात करते हैं। हम बात कर रहे हैं, रोहतक जिला, गांव निदाना के पंडित कर्मवीर कौशिक की। इस शख्स ने अपनी युवावस्था के दिनों को गीता व कुरान को समझने में लगाया है, अपने रक्त से कुरान व गीता को लिखा है।
आइए, सांझा करते है कर्मवीर कौशिक निंदानिया से बातचीत के कुछ अंश।

जिस जगह पर इस्लामी निजाम होगा वहां पर जुल्म नहीं होगा
पवित्र ग्रंथ गीता और कुरान में मोहब्बत, अमन-शांति का संदेश निहित है। कुरान ही नहीं, बल्कि किसी भी धर्म की शिक्षा- कट्टरवाद, आतंकवाद और मार-काट का संदेश नहीं देती। प्रत्येक धर्म की शिक्षा में मोहब्बत, शांति का संदेश ही समाया हुआ है। जिस दिन इंसान एक-दूसरे को समझ लेगा धर्म, साम्प्रदायिकता के झगड़े अपने आप खत्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस्लाम से आतंकवाद का कोई संबंध नहीं है। कुरान में कहा गया है कि जिस जगह पर इस्लामी निजाम होगा वहां पर जुल्म नहीं होगा।

कुरान को लिखने में लगे 7 साल
कर्मवीर कौशिक ने बताया कि कुरान को अपने खून से लिखने में 7 साल का वक्त लगा। 2009 में इसकी शुरूआत की और दिसम्बर 2015 में पूरी हुई है। 369 पेज की इस कुरान में 114 अध्याय है। लिखने के साथ साथ इसकी आयतों व अध्यायों पर गहन मंथन भी किया है।

3 साल में लिखी श्रीमद् भगवद् गीता
श्रीमद् भगवद् गीता को लिखने में 3 साल का वक्त लगा है। 186 पेज की गीता  को 2005 में शुरूआत की और 2007 में लिख कर पूरा किया गया।

पीपल के पत्ते पर मोर पंख से लिखी

कर्मवीर ने बताया कि सबसे पहले उंगली से पीपल के पत्ते पर रक्त निकालता, इसके बाद मोर पंख की मदद से कागज पर गीता के श्लोक व कुरान की आयतें लिखता था। शास्त्रों में लिखा गया है कि उंगलियों के आगे का अग्र भाग को देव तीर्थ का नाम दिया गया है।

दादा सूरज व गुरु डा. श्याम सखा श्याम ने किया मार्गदर्शन
मेरे दादा सूरत कौशिक व गुरु डा. श्याम सखा श्याम के जीवन से प्रभावित कर्मवीर कौशिक ने बताया कि जन्म जन्मांतर का संबंध है कि मेरे अंदर अपने आप गीता व कुरान के प्रति आदर भाव उत्पन्न हुए। यहीं से प्रेरित होकर मंैने गीता व कुरान को दुनिया से हट कर इस पर गहन मंथन किया है।

सभी धर्मों का सार है- मनुष्य का कल्याण हो

कर्मवीर कौशिक का कहना है कि सभी धर्मों का सार एक ही है, मनुष्यता का कल्याण हो, शांति हो, समर्पण की भावना विद्यमान हो, श्रद्धा व विश्वास हो। हमारे वेद वेदांत, पुराण, श्रुति, स्मृति औैर दर्शन शास्त्रों में जीव प्रति के लिए प्रेम की भावना से ओत-प्रोत है। यहां किसी के प्रति ङ्क्षहसा के लिए कोई स्थान नहीं है।
 
क्या है कुरान
कुरान इस्लाम की पवित्रतम पुस्तक है और इस्लाम की नींव है। इसे परमेश्वर ने देवदूत जिब्राएल द्वारा हजरत मुहम्मद को सुनाया था। मुसलमानों का मानना हैं कि कुरान ही अल्लाह की भेजी अन्तिम और सर्वोच्च पुस्तक है। कुरान में कुल 114 अध्याय हैं, जिन्हें सूरा कहते हैं। बहुवचन में इन्हें सूरत कहते हैं। यानी 15वें अध्याय को सूरत 15 कहेंगे। हर अध्याय में कुछ श्लोक हैं जिन्हें आयत कहते हैं।


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