विश्व पर्यावरण दिवस 2025 पर ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन ने गुरुग्राम की अरावली पट्टी में लगाए 30 देसी पेड़, दिया प्लास्टिक मुक्त पर्यावरण का संदेश
punjabkesari.in Friday, Jun 06, 2025 - 08:00 PM (IST)

गुड़गांव ब्यूरो : विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गुरुग्राम की अरावली वन पट्टी में ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन द्वारा एक वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें लगभग 30 स्वयंसेवकों की सहभागिता से 30 से अधिक देसी प्रजातियों के वृक्षों का रोपण किया गया। इस अभियान का उद्देश्य न केवल पर्यावरण को हरित बनाना था, बल्कि "प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना", जो कि इस वर्ष की वैश्विक थीम है, उस पर भी जागरूकता फैलाना था।
इस वृक्षारोपण अभियान में नीम, पीपल, बरगद और आम जैसे पेड़ लगाए गए, जो भारतीय जलवायु में सहज रूप से पनपते हैं और वायु को शुद्ध करने की प्राकृतिक क्षमता रखते हैं। कार्यक्रम का नेतृत्व ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन के संस्थापक सैंडी खांडा ने किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को प्रकृति से जुड़ने और प्लास्टिक के प्रति सजग होने का आह्वान किया।
> आज जब पूरा विश्व प्लास्टिक प्रदूषण से जूझ रहा है, हमें छोटे-छोटे कदमों से शुरुआत करनी होगी — जैसे देसी पेड़ लगाना, कपड़े के थैले इस्तेमाल करना, और सिंगल यूज़ प्लास्टिक से दूरी बनाना। अरावली हमारी सांसें बचाती है, और हमें उसे बचाने की जिम्मेदारी लेनी होगी।"
— सैंडी खांडा, संस्थापक, ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन
प्लास्टिकप्रदूषण: भारत के लिए चेतावनी
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम है: “हमारी धरती, हमारा भविष्य — प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना”। यह थीम संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के Beat Plastic Pollution मिशन का हिस्सा है।
भारत में प्लास्टिक का उत्पादन और कचरा चिंता का विषय बन चुका है। पर्यावरण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत हर साल लगभग 3.5 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न करता है, जिसमें से केवल 60% का ही पुनर्चक्रण होता है। शेष प्लास्टिक मिट्टी और जल स्रोतों को प्रदूषित करता है, जो मानव स्वास्थ्य, समुद्री जीवन और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस अभियान में प्लास्टिक बोतलों के स्थान पर स्टील की बोतलें, कपड़े के थैले, और बायोडिग्रेडेबल उत्पादों को अपनाने पर जोर दिया गया। प्रतिभागियों को यह भी समझाया गया कि कैसे छोटे बदलाव जीवनशैली में बड़ा फर्क ला सकते हैं।
कॉर्पोरेट सहभागिता और सामुदायिक सहयोग
कार्यक्रम में निजी क्षेत्र से भी सहभागिता देखने को मिली। Suzuki Digital की टीम ने वृक्षारोपण में सक्रिय योगदान दिया। संगठन की प्रतिनिधि आशीमा मलिक ने कहा: "हमारे लिए प्रकृति के बीच समय बिताना और हरियाली बढ़ाने में योगदान देना एक शानदार अनुभव रहा। यह अभियान न केवल पर्यावरण को बेहतर बनाता है, बल्कि हमें भी अपनी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है।"
ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन का प्रभाव
ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन ने वर्ष 2018 से अब तक 1.5 लाख से अधिक लोगों को अपने अभियानों के माध्यम से सीधे प्रभावित किया है। संस्था के प्रमुख कार्यक्रमों में शामिल हैं: क्लीन एंड ग्रीन फरीदाबाद मिशन: सरकारी स्कूलों में पौधारोपण, पुनः उपयोग योग्य कपड़े के सैनिटरी पैड्स, स्टील बोतलें और स्टेशनरी किट वितरण। घर पर टिकाऊ जीवनशैली (Sustainable Practices at Home): दिल्ली, एनसीआर, केरल और हिमाचल के युवाओं को घरेलू स्तर पर टिकाऊ विकल्पों के प्रति जागरूक करना।
Periods of Pride: ग्रामीण क्षेत्रों में माहवारी स्वच्छता और कपड़े के पुन: प्रयोग योग्य पैड्स पर जन जागरूकता अभियान।
भविष्य की योजनाएं
फाउंडेशन के संस्थापक सैंडी खांडा ने बताया कि आने वाले महीनों में फाउंडेशन दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और केरल में बड़े पैमाने पर पर्यावरण संरक्षण अभियान, स्कूल-कॉलेज वर्कशॉप्स और सामुदायिक कार्यक्रम शुरू करेगा। इसके साथ ही संस्था विकसित भारत 2047 और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ तालमेल बिठाकर काम कर रही है।
ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन के बारे में
ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन एक युवा-नेतृत्व वाली गैर-लाभकारी संस्था है जो पर्यावरणीय जागरूकता, जलवायु परिवर्तन, माहवारी स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता पर भारत के विभिन्न राज्यों में काम कर रही है। इसकी स्थापना सैंडी खांडा ने की थी, जो एक सामाजिक और जलवायु कार्यकर्ता हैं।