प्रदेश के लिए अलग विधानसभा भवन के बाद, अब SYL नहर पर हुआ सीएम मनोहर लाल का फोकस

punjabkesari.in Saturday, Jul 09, 2022 - 10:26 PM (IST)

चंडीगढ़(संजय अरोड़ा): हरियाणा प्रदेश को पुरानी परम्पराओं से बाहर लाकर नए आयाम स्थापित करने की दिशा में तेजी से कदम ओ बढ़ा रहे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पिछले करीब पौने 8 साल में नई योजनाओं को जमीनी रूप तो दिया ही तो वहीं वे हरियाणा के हक-अधिकार को लेकर भी बेहद संजीदा नजर आ रहे हैं और इसी की बानगी है कि उन्होंने प्रदेश की खातिर हर उस योजना के संदर्भ में केंद्र सरकार के समक्ष प्रभावी ढंग से आवाज उठाई है जिसका सीधा सरोकार आमजन के साथ साथ हरित प्रदेश के हितों से रहा है। यहां बात हो रही है एस.वाई.एल के पानी और विधानसभा के लिए नए अतिरिक्त भवन की, जिन्हें लेकर मुख्यमंत्री खट्टर ने शनिवार को जयपुर में हुई उत्तर क्षेत्रीय परिषद की 30वीं अहम बैठक में अपनी बात रखी। खास बात ये है कि मुख्यमंत्री की बात पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुहर लगाते हुए हरियाणा विधानसभा के लिए अतिरिक्त भवन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान करते हुए इसकी जमीन के लिए बजट भी निर्धारित कर दिया है। इसके अलावा सी.एम. खट्टर द्वारा रखे गए अन्य मुद्दों पर भी बड़ी गहनता से विचार विमर्श करने के बाद उन्हें भी सिरे चढ़ाने की बात कही गई है। ऐसे में साफ तौर पर कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अपनी योजनाओं को एक संकल्प के रूप में लेते हुए इन्हें हकीकत में बदलने के लिए गंभीर रहते हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षक भी इस बात को मानते हैं कि वाकई मुख्यमंत्री खट्टर ने कई मर्तबा ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किए हैं जो इन बातों को पुष्ट करने में सहायक हैं कि वे हरियाणा के हित से जुड़ी तमाम योजनाओं को लेकर दिल्ली में संबंधित केंद्रीय मंत्रियों से लेकर प्रधानमंत्री तक के द्वार पर दस्तक देते रहते हैं और उनके समक्ष हरियाणा प्रदेश को लेकर पैरवी भी करते हैं और इसी का ही प्रमाण है कि बहु प्रतीक्षित नए विधानसभा भवन का प्रस्ताव भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने आखिरकार सिरे चढ़ा ही दिया। पर्यवेक्षकों के अनुसार कई योजनाओं के मामले में देश भर में हरियाणा को एक अलग पहचान दिलाने वाले सी.एम. खट्टर सुशासन और व्यवस्था परिवर्तन के मामले में भी राजनीतिक क्षेत्र में हरियाणा की विशेष पहचान बनाने में कामयाब हुए हैं।

सी.एम. की संजीदगी का ऐसे मिला प्रमाण

गौरतलब है कि शनिवार को जयपुर में उत्तर क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक हुई थी और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इस बैठक की अध्यक्षता की। जयपुर में राजस्थान सरकार के सौजन्य से आयोजित की गई इस बार की बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, चंडीगढ़ के प्रशासक एवं पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित, लद्दाख के उपराज्यपाल आर. के माथुर, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शामिल रहे। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा के अधिकार को लेकर अपनी संजीदगी के प्रमाण देते हुए जहां मौजूदा दौर में हरियाणा विधानसभा भवन की स्थिति के बारे में अवगत करवाया तो वहीं उन्होंने यह मांग रखी कि प्रदेश को इस समय अतिरिक्त नए विधानसभा भवन की दरकार है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2026 में नया परिसीमन प्रस्तावित है, जिसके आधार पर वर्ष 2029 में लोकसभा व विधानसभा के चुनाव होंगे और ऐसा अनुमान है कि हरियाणा की जनसंख्या के अनुसार नए परिसीमन में लोकसभा की 14 व विधानसभा की 126 सीटें हो जाएंगी जबकि वर्तमान में विधानसभा में 90 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। इसलिए हरियाणा विधानसभा के लिए प्रदेश को पूरा हिस्सा दिलवाया जाए। इस पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने उनकी यह मांग स्वीकार करते हुए इसके लिए बजट निर्धारित भी कर दिया। इसके अलावा खट्टर ने हरियाणा से जुड़े अन्य बड़े मुद्दों को भी उठाया जो सीधे रूप से पड़ोसी राज्य पंजाब के साथ जुड़े हुए थे। मसलन उन्होंने सतलुज-यमुना लिंक नहर, भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड में सदस्यों की नियुक्ति, पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के हिस्से को बहाल करने सहित कई महत्वपूर्ण मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठाया। अहम बात ये है कि अपनी इन मांगों को रखने के साथ साथ मुख्यमंत्री खट्टर ने अपनी सरकार के अब तक के कार्यकाल के दौरान हरियाणा में आए बदलाव का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि क्षेत्रफल व जनसंख्या की दृष्टि से बेशक हरियाणा देश का एक छोटा-सा राज्य है परन्तु देश की अर्थव्यवस्था में इसका उल्लेखनीय योगदान है। उन्होंने बताया कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय 2 लाख 74 हजार 635 रुपए है, जो देश के बड़े राज्यों में सर्वाधिक है। आर्थिक विकास दर के मानदंडों पर भी हरियाणा देश के अग्रणी राज्यों में है। उद्योगों को लॉजिस्टिक सुविधा देने में देश में दूसरे तथा उत्तर भारत में पहले स्थान पर है। इस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री खट्टर की इन नीतियों को लेकर तारीफ भी की।

एसवाईएल पर भी मुख्यमंत्री ने दिया प्रभावी तर्क

खास बात ये है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा के संदर्भ में मांगों को उठाने के साथ साथ बैठक में पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की मौजूदगी में कई अंतर्राज्यीय मुद्दों को लेकर हरियाणा के हितों से जुड़ी अपनी बात रखी और प्रभावी ढंग से तर्क दिए। उन्होंने बताया कि सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण कार्य को पूरा करना हरियाणा और पंजाब राज्यों के बीच अत्यंत पुराना और गंभीर मसला है। यह नहर न बनने के कारण रावी, सतलुज और ब्यास का अधिशेष, बिना चैनल वाला पानी पाकिस्तान में चला जाता है। हरियाणा को भारत सरकार के 24 मार्च, 1976 के आदेशानुसार रावी-ब्यास के सरप्लस पानी में भी 3.50 मिलियन एकड़ फुट हिस्सा आबंटित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एस.वाई.एल. मुद्दे को हल करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 18 अगस्त, 2020 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, पंजाब आगे कार्रवाई नहीं कर रहा है। इस पर उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए उनकी ओर से एक अर्ध-सरकारी पत्र के माध्यम से केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की दूसरे दौर की बैठक जल्द से जल्द बुलाने का अनुरोध किया गया है। मुख्यमंत्री ने अमित शाह से कहा कि उन्हें भी इस विषय में एक अर्ध-सरकारी पत्र लिखा है, जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक आयोजित करने का अनुरोध किया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इससे पहले इस बैठक के लिए उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री को भी 3 अर्ध-सरकारी पत्र लिखे, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। अब चूंकि पंजाब में नई सरकार आ चुकी है, अत: गृहमंत्री से पुन: अनुरोध है कि यह बैठक जल्द करवाएं और उसके निष्कर्ष से सर्वोच्च न्यायालय को भी अवगत करवाया जाए।

भाखड़ा से भी कम ही मिल रहा है पानी- सीएम मनोहर लाल

जयपुर में हुई इस बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि हरियाणा को भाखड़ा मेन लाइन नहर से भी लगभग 700-1000 क्यूसेक पानी कम मिल रहा है। इस संबंध में भागीदार राज्यों के प्रमुख अभियंताओं और बी.बी.एम.बी. के अधिकारियों की एक कमेटी ने भी यह पाया है कि बी.एम.एल. के संपर्क बिंदु आर.डी. 390000 पर हरियाणा को पानी का कम वितरण किया गया है। इस कमेटी ने अब हैड से लेकर भागीदार राज्यों के सभी संपर्क बिंदुओं तक संपूर्ण वितरण प्रणाली के लिए गेज/डिस्चार्ज कर्व लगाने के लिए नवीनतम डिस्चार्ज मेजरमेंट तकनीकों के साथ कोई तीसरी एजेंसी नियुक्त करने का सुझाव दिया है। इसके अलावा, विभिन्न संपर्क बिंदुओं पर एस.सी.ए.डी.ए. प्रणाली स्थापित की जा सकती है ताकि सभी भागीदार राज्यों द्वारा गेज से वास्तविक डेटा देखा जा सके। इसके अलावा आयोग को ये भी निर्देश दिए जाएं कि वह इसे समयबद्ध ढंग से अगले 2 माह के भीतर पूरा करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि बी.बी.एम.बी. में सदस्यों की नियुक्ति हरियाणा से भी की जाए। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने बैठक में पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा के हिस्से को बहाल किए जाने व चंडीगढ़ के साथ लगते हरियाणा के कॉलेजों की संबद्धता भी पंजाब विश्वविद्यालय से करने की मांग रखी।

शाह के समक्ष सीएम ने रखा हरियाणा का रिपोर्ट कार्ड

अहम बात ये भी है कि मांगों को रखने के साथ साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के समक्ष हरियाणा की योजनाओं के संदर्भ में एक रिपोर्ट कार्ड भी रखा। सी.एम. खट्टर ने कहा कि हमने व्यवस्था परिवर्तन के माध्यम से सुशासन से सेवा सुनिश्चित की है और प्रदेश सरकार ने सबसे गरीब लोगों का जीवन-स्तर ऊंचा उठाने के लिए 'मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजनाÓ शुरू की है। इस अभियान के तहत सबसे गरीब परिवारों की पहचान करके उनकी वार्षिक आय कम से कम 1.80 लाख रुपए की जाएगी। सरकार ने 'मेरी फसल-मेरा ब्यौराÓ ई-खरीद पोर्टल के माध्यम से फसलों की खरीद को सुविधाजनक बनाया है। इस पोर्टल पर किसान को अपनी फसल बेचने के साथ-साथ खाद, बीज, ऋण और कृषि उपकरणों के लिए मिलने वाली आर्थिक सहायता घर बैठे मिल सकेगी। इस पोर्टल पर पंजीकरण करवाने वाले किसानों की फसल की खरीद प्राथमिकता के आधार पर की जाती है। इस पर कुल 9 लाख 25 हजार किसान पंजीकृत हैं। इसके अलावा जनता के प्रति प्रशासन की जवाबदेही तय करने और समय पर सर्विस डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए 'ऑटो अपील सॉफ्टवेयरÓ शुरू किया गया है। इससे 29 विभागों, निगमों व बोर्डों की 292 सेवाओं को जोड़ा जा चुका है। इन सेवाओं के आवेदकों को निर्धारित समय में सेवा न मिलने पर उसकी अपील स्वत: ही उच्चाधिकारी के पास हो जाती है। वहां भी समय पर सेवा न मिले, तो राइट टू सर्विस कमीशन को भी अपील स्वत: ही चली जाती है। इससे कर्मचारियों और अधिकारियों की जवाबदेही तय हुई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि हरियाणा में 2016 से लेकर अब तक फसल अवशेष जलाने के मामलों में 73 प्रतिशत तक की कमी आई है। पराली न जलाने और इसके उचित प्रबंधन के लिए पराली की गांठ बनाने पर किसान को 1 हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दिए जाने का प्रावधान है। अवशेषों के प्रबंधन के उपकरणों पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। प्रदेश में 9 बायोमास बिजली परियोजना में धान के पांच लाख टन फानों का उपयोग किया जा रहा है और इस वर्ष 2 ऐसे संयंत्र और चालू हो जाएंगे।

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Content Writer

Vivek Rai

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