हरियाणा की बेटी व भारतीय हॉकी की 'रानी' को मिलेगा खेल रत्न अवार्ड, CM खट्टर ने दी बधाई

punjabkesari.in Friday, Aug 21, 2020 - 04:28 PM (IST)

डेस्क: हरियाणा की बेटी व भारतीय हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल को प्रतिष्ठित खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। रानी केवल तीसरी और पहली महिला हॉकी खिलाड़ी हैं, जिनके नाम की सिफारिश इस सम्मान के लिए की गई है। रानी से पहले धनराज पिल्लै (2000) और पुरुष टीम के पूर्व कप्तान सरदार सिंह (2017) को खेल रत्न पुरस्कार मिला था।

इस पुरस्कार के लिए नाम चयनित होने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रानी रामपाल को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा की भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान, हरियाणा की बेटी, देश की शान रानी रामपाल को खेल रत्न पुरस्कार हेतु चयनित होने पर हार्दिक बधाई एवं ढेर सारी शुभकामनाएं। अपनी मेहनत से आपने जो मुकाम हासिल किया है उस पर पुरे देश को गर्व है।
 

भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान, हरियाणा की बेटी, देश की शान @imranirampal को खेल रत्न पुरस्कार हेतु चयनित होने पर हार्दिक बधाई एवं ढेर सारी शुभकामनाएं।

अपनी मेहनत से आपने जो मुकाम हासिल किया है उसपर पुरे देश को गर्व है।

— Manohar Lal (@mlkhattar) August 21, 2020


बता दें कि रानी की अगुवाई में भारतीय टीम ने महिला एशियाई कप 2017 में ऐतिहासिक जीत दर्ज की तथा 2018 में एशियाई खेलों में रजत पदक जीता। रानी ने एफआईएच ओलंपिक क्वालीफायर्स में भी अहम भूमिका निभायी तथा निर्णायक गोल किया जिससे भारत को टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में मदद मिली। यही नहीं टीम इस बीच अपनी सर्वश्रेष्ठ नौवीं रैंकिंग पर पहुंची।

भारतीय हॉकी टीम की रानी कहलाने वाली रानी रामपाल हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के शाहबाद मारकंडा में जन्मी हैं। उनका जन्म 4 दिसम्बर 1994 को हुआ और विश्व कप 2010 में भाग लेने वाली भारतीय हॉकी टीम की सबसे कम उम्र में (15) खिलाड़ी बनीं। अब वे भारतीय हॉकी टीम की कप्तान हैं।

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रानी के पिता आजीविका के लिए चलाते हैं तांगा
रानी की कहानी अपनी हिम्मत के बल पर तमाम कष्टों दुश्वारियों से संघर्ष करके विजयी होने की कहानी है। रानी के पिता आजीविका के लिए तांगा चलाते हैं। परिवार में भाई-बहनों में रानी सबसे छोटी हैं। रानी के दो बड़े भाईं हैं। एक भाई किसी दुकान पर सहायक का काम करते हैं। उनसे बड़े भाई बढ़ई है। अपने प्रदर्शन के बाद रानी ने रेलवे में क्लर्क की नौकरी हासिल की और टीम के साथ-साथ परिवार की भी जिम्मेदारी संभाली।

कुछ यूं रहा सफलता का सफर
रानी के पास बचपन में न तो खेलने के लिए जूते थे और न ही हॉकी किट थी। बस पास था केवल खेल का जुनून और कुछ करने की जिद। द्रोणाचार्य अवॉर्डी कोच बलदेव सिंह की ट्रेनिंग और अपनी इसी जिद के बदौलत ही रानी ने सफलता के शिखर को छुआ। जर्मनी में खेले गए वर्ल्डड कप में भारतीय टीम ने कांस्य पदक जीता था और रानी प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रही थी।

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ओलंपिक क्वालिफायर टूर्नामेंट में भी रानी रामपाल के गोल की बदौलत ही भारतीय टीम ने 36 साल बाद ओलिंपिक के लिए टिकट पाया। अपने प्रदर्शन की बदौलत ही रानी ने रेलवे में क्लर्क की नौकरी हासिल की थी और टीम के साथ-साथ परिवार की जिम्मेदारी भी संभाली थी। रानी की हॉकी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उसका हॉकी सेंस बहुत गजब का है और यह बात उसके कोच भी मानते हैं।

 

 


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vinod kumar

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