धरनास्थल पर मनाया किसान-मजदूर एकता दिवस, किसान बोले- मजदूर किसानी का अहम हिस्सा

punjabkesari.in Sunday, May 02, 2021 - 11:36 AM (IST)

सोनीपत (ब्यूरो) : कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों के साथ मई दिवस मौके श्रमिकों ने मंच सांझा कर मिलकर आंदोलन चलाने का ऐलान किया। किसान और मजदूर को एक-दूसरे का सहयोगी बताते हुए किसान-मजदूर नेताओं ने हुंकार भरी कि वे केंद्र सरकार से मनमाने कानून वापस करवाकर ही दम लेंगे। उन्होंने कहा कि श्रमिक कोड और 3 कृषि कानून जब तक वापस नहीं होते उनका आंदोलन जारी रहेगा।

शनिवार को कुंडली धरनास्थल पर मई दिवस किसान-मजदूर एकता के रूप में मनाया गया। इसमें किसान मोर्चा नेताओं के साथ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने हिस्सा लिया। दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरने पर मजदूरों ने पहुंच कर किसान आंदोलन और मांगों का समर्थन किया। मंच पर भी केंद्रीय ट्रेड यूनियन से लेकर मजदूर नेताओं ने अपने विचार रखे। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, डा. दर्शनपाल, अभिमन्यु कोहाड़ का कहना है कि कोरोना की आड़ में केंद्र सरकार ने किसानों, मजदूरों व आम नागरिकों पर सीधे हमले किए हैं।

इस समय देश महामारी के दौर से गुजर रहा है लेकिन महामारी से लडऩे की बजाय सरकार 3 कृषि कानून व 4 लेबर कोड जैसे कानून लेकर आई है। किसान नेताओं ने कहा कि किसान मजदूर एकता से डरे हुए भाजपा और सहयोगी दलों ने मजदूरों को किसानों के खिलाफ भड़काने की भी कोशिश की परंतु मजदूर भी उतने ही पीड़ित हैं। इसलिए वे भी किसानों के साथ पूरी भागीदारी निभा रहे हैं। लेबर कोड व खेती कानूनों पर नेताओं ने कहा कि आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम मजदूरों की रोजी-रोटी पर सीधा व तीखा हमला है। निजी क्षेत्र के हाथों में मजदूरों का भविष्य चला जाएगा। वहीं, मंडी कानून व ठेकेदारी कानून से मजदूरों का शोषण बढ़ाएंगे और रोजगार के मौके घटाएंगे। उन्होंने कहा कि मजदूरों व गरीबों के लिए कोरोना काल में वैक्सीनेशन व अन्य मैडीकल सेवाएं उपलब्ध नहीं है। इस पर केंद्र सरकार को ध्यान देना चाहिए।

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Content Writer

Manisha rana

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