हरियाणा पुलिस को 56 साल के इंतजार के बाद अनिल विज के प्रयासों से  पुलिस कलर मिला

punjabkesari.in Tuesday, Apr 12, 2022 - 03:39 PM (IST)

चंडीगढ़(धरणी) : हरियाणा पुलिस को आखिरकार 56 वर्ष के लंबे इंतजार के बाद अपना पुलिस कलर मिल ही गया है। भारत के अधिकांश प्रांतों की पुलिस के पास अपना पुलिस कलर पहले से ही है। हरियाणा उन चंद राज्यों में से एक है जिसकी पुलिस के पास अपना पुलिस कलर पहले से नहीं था। हरियाणा का गृह मंत्रालय 2019 में अनिल विज को मिला था। जब अनिल विज को तब यह बताया गया कि हरियाणा पुलिस के पास अपना हरियाणा का पुलिस कलर नहीं है तो इन्होंने गृह मंत्रालय भारत सरकार से इस मामले में पत्राचार शुरू किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार गृह मंत्रालय भारत सरकार ने हरियाणा पुलिस तथा हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज की मांग को उचित मानते हुए आखिरकार हरियाणा पुलिस कलर को स्वीकृति दे दी है। प्राप्त जानकारी के अनुसार हरियाणा पुलिस को अलर्ट किए गए कलर को विधिवत रूप से प्रदान करने का कार्यक्रम 24 अप्रैल को आरटीसी भोंडसी गुरुग्राम जिले में हो सकता है। इस कार्यक्रम में भारत के माननीय राष्ट्रपति मुख्य अतिथि के रूप में आ सकते हैं। पुलिस कलर को रेजिमेंटियल कलर भी कहा जाता है। हरियाणा पुलिस को रेजिमेंटियल कलर मिलने से पुलिस विभाग के अधिकारियों में एक विशेष उत्साह है।

 हरियाणा पुलिस के अधीन लगभग 70000 पुलिस कर्मचारी तथा अधिकारी सम्मिलित हैं। हरियाणा पुलिस के पास अपना कोई भी कलर इतने लंबे समय से नहीं था। अतीत में हरियाणा के अंदर रही विभिन्न सरकारों या तत्कालीन गृह मंत्रियों ने भी हरियाणा पुलिस के कलर की आवश्यकता की तरफ ध्यान नहीं दिया। गौरतलब है कि हरियाणा का गठन 1 नवंबर 1966 को हुआ था। गृह मंत्रालय ज्यादातर मुख्यमंत्री के पास ही रहता है फिर भी अतीत में कई बार ऐसे मौके आए जब गृह मंत्री के रूप में संपत सिंह, मनीराम गोदारा, राज्य गृह मंत्री के रूप में गोपाल कांडा व सुभाष बत्रा जैसे अन्य कई नेता आसीन रहे।

  भाजपा मनोहर पार्ट 2 के अंदर गृह मंत्रालय का जिम्मा जब अनिल विज को दिया गया तब इन्हें पुलिस के कुछ अधिकारियों के माध्यम से यह जानकारी मिली कि हरियाणा पुलिस के पास अपना कलर नहीं है। गृहमंत्री के रूप में अनिल विज ने भारत के गृह मंत्रालय को तुरंत पत्र लिखा और इसकी लगातार पैरवी की। पैरवी करने का फायदा यह रहा कि हाल ही में हरियाणा पुलिस को अपना पुलिस कलर भारत के गृह मंत्रालय ने स्वीकृत कर दिया है। किसी भी राज्य की पुलिस के पास अपना कलर होना यह कहा जाए कि रेजिडेंटल कलर अलर्ट होना एक गौरव की बात माना जाता है। विधिवत रूप से होने वाली विभिन्न प्रेड तथा सरकारी कार्यक्रमों विशेषकर केंद्र सत्र के कार्यक्रमों के अंदर अब आने वाले दिनों में हरियाणा पुलिस का अपना अलग कलर भी चमकेगा। 

 यह कलर संभावित रूप से भारत के माननीय राष्ट्रपति खुद प्रदान करने के लिए आ सकते हैं। अभी तक मिली जानकारियों के अनुसार 24 अप्रैल को दिल्ली के हरियाणा के प्रमुख जिले गुरुग्राम में स्थित आरटीसी भोंडसी के अंदर एक विशाल प्रेड कार्यक्रम व पुलिस विभाग का झांकी समारोह आयोजित हो सकता है। इस कार्यक्रम में भारत के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि के रूप में आने की संभावना है। हरियाणा के डीजीपी पीके अग्रवाल तथा हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने इस मामले को लेकर विस्तार से चर्चा हुई है तथा भारत के राष्ट्रपति की सुविधा को मद्देनजर रखते हुए दिल्ली के समीपवर्ती जिले गुरुग्राम भोंडसी में यह कार्यक्रम रखने की रूपरेखा तैयार की गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी भारत के माननीय राष्ट्रपति को इस कार्यक्रम में पधारने के लिए अपनी तरफ से आमंत्रण भेज दिया है। भारत के राष्ट्रपति द्वारा सहमति प्राप्त होने के बाद  भोंडसी में यह कार्यक्रम पुलिस विभाग के द्वारा किया जाएगा।

किसी भी राज्य की पुलिस के लिए उस पुलिस का कलर पुलिस जवानों व अधिकारियों के लिए आन बान और शान का प्रतीक माना जाता है। किसी भी राज्य की पुलिस की पहचान उस राज्य का पुलिस कलर्स के माध्यम से होती है।

पुलिस की पूरे भारत मे खाकी वर्दी की कहानी:

पुलिस की पहचान उसकी खाकी वर्दी से ही है। खाकी रंग की वर्दी और भारतीय पुलिस का सालों से अटूट संबंध चला आ है। शुरुआत से ही हम पुलिस की वर्दी को खाकी के रंग में देखते आ रहे हैं। ऐसे में सवाल ये है कि क्या पुलिस की वर्दी शुरुआत से ही खाकी रंग की थी? आखिर पुलिस की वर्दी का रंग खाकी ही क्यों है और यह रंग पुलिस को कैसे मिला। पूरे भारत मे पुलिस की वर्दी का ऑफिशियल रंग खाकी ही है। कहीं पर खाकी का रंग हल्का होता है तो कहीं पर गहरा। पूरे भारत में एक जगह को छोड़ कर हर जगह की पुलिस की वर्दी का रंग खाकी ही देखा जाता है। पश्चिम बंगाल एकमात्र ऐसा राज्य है जहां पुलिस 2 रंग की वर्दी पहनती है। कोलकाता में अब भी पुलिसकर्मी सफेद वर्दी पहनते हैं जबकि पश्चिम बंगाल में पुलिस वाले खाकी वर्दी पहनते हैं।

अन्य सभी राज्यों के अंदर पुलिस की वर्दी का रंग खाकी ही है। ऐसे में सभी के जहन में एक सवाल जरूर उठता होगा कि आखिर पुलिस की वर्दी का रंग खाकी ही क्यों होता है। आज हम आपके सभी सवालों का जवाब देंगे और आपको बताएंगे पुलिस की खाकी वर्दी के इतिहास के बारे में। यह बात तब की है जब भारत में अंग्रेजों का शासन था। तब पुलिस की वर्दी का रंग सफेद हुआ करता था। सफेद यूनिफॉर्म जल्दी गंदी हो जाने के कारण पुलिस कर्मचारियों को इस यूनिफार्म से काफी दिक्कत होती थी। लंबी ड्यूटी के चलते पुलिस वालों की यूनिफॉर्म जल्दी गंदी हो जाती थी और उस पर दाग-धब्बे भी लग जाते थे, जिसको साफ करने में काफी मुश्किल होती थी। इसलिए ब्रिटिश अफसरों ने इस यूनिफार्म को बदलने की एक योजना बनाई। वर्दी कम गंदी दिखाई दे इसके लिए पुलिस अधिकारियों ने एक डाई बनवाई जिस का रंग मिट्टी से मिलता था, इसलिए उस रंग में गंदगी का इतना पता नहीं लगता था। खाकी रंग को बनाने के लिए पुलिस वालों ने अनोखी टेक्नीक का प्रयोग किया। उस समय केमिकल के रंग इतने चलन में नहीं थे, इसलिए पुलिसकर्मियों ने चाय की पत्तियों के पानी का प्रयोग किया और खाकी रंग का ईजाद हुआ।

सर हैरी लम्सडन ने 1847 ने आधिकारिक तौर पर खाकी रंग की वर्दी को अपनाया और तभी से भारतीय पुलिस में खाकी रंग की वर्दी चली आ रही है । जी हां, यह वर्दी सन 18 से चली आ रही है। उसके बाद से आर्मी की रेजीमेंट और भारतीय पुलिस ने खाकी वर्दी को अपना लिया जो भारत में अभी तक चलती आ रही है। 

 

 


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Content Writer

Vivek Rai

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