हरियाणा की DSP की Sucsess Story: जानिए कैसे, गरीब परिवार की छोरी ने लिख दी सफलता की नई इबादत(VIDEO)

punjabkesari.in Saturday, Mar 07, 2020 - 04:49 PM (IST)

यमुनानगर(सुमित)- "आसमान में भी सुराख हो सकता है एक पथर तो तबियत से उछालो यारो। इन्ही पंक्तियों को सार्थक करती है हरियाणा के यमुनानगर में रहनी वाली सुरेंद्र कौर। सुरेंद्र कौर हरियाणा पुलिस में डीएसपी के पद पर तैनात है। सुरेंद्र कौर ने बताया कि वो बेहद गरीब परिवार से थी लेकिन जिस मुकाम पर आज वो है उसे हासिल करने के लिए उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ी है। 2010 में हरियाणा सरकार ने उनको डीएसपी का पद देकर सम्मानित किया। सबसे पहली पोस्टिंग भिवानी में हुई, अब यमुनानगर में तैनात हैं। उनकी शादी भी राष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी नितिन सबरवाल से हुई वह अब अंबाला कैंट के राजकीय स्कूल में पीटीआइ है। उनकी 2 बेटियां है । 

हॉकी खेलने का था शौंक
सुरेंद्र कौर ने जूनियर सब जूनियर सीनियर खेलते हुए राज्य स्तर से राष्ट्रीय स्तर और फिर अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपने खेल की छाप छोड़ी। फिर सुरेंद्र कौर को  भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान बनने का मौका मिला। सन 2000 से 2011 साल तक वह भारतीय हॉकी टीम में खेली। 2008 से 2011 तक भारतीय हॉकी टीम की कप्तान रही। 2011 में घुटनों में लगी चोटों की वजह से उन्हें खेल से अलविदा कहना पड़ा था। इसके बावजूद भी वह हॉकी से जुड़ी हैं। अब इंडियन हॉकी टीम में बतौर सिलेक्टर के तौर पर भी कार्य कर रही हैं। अब भी रोजाना एक घंटा मैदान पर बिताती हैं। नए युवक व युवतियों को हॉकी के गुर भी बताती हैं। उन्होंने बताया कि हर वक्त ज़हन में यहीं बात रहती है कि कैसे बारिशो के मौसम जब हमारे घर के पास पानी भरा जाता था तो मेरे पिता साइकल पर बिठा कर गली पार करवाते थे।

दोनों घुटने हुए चोटिल फिर भी नहीं मानी हार 
सुरेंद्र कौर ने बताया कि सन 2009 सुरेंद्र कौर के लिए बेहद भाग्यशाली रहा। वह बताती हैं कि एशियन कप मेें उनकी टीम बैंकॉक गई थी। वह कप्तान थी। उस मैच में उनकी टीम ने गोल्ड जीता। उस समय जर्सी का नंबर भी नौ था। बेस्ट प्लेयर का खिताब भी उन्हें मिला। इसी वर्ष में उन्हें अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया। वर्ष 2000 में उन्हें भीम अवार्ड, यंगेस्ट प्लेयर अवार्ड व अन्य कई अवार्डों से भी नवाजा जा चुका है।  2000 में खेलते समय उनके दाहिने घुटने पर चोट लग गई जिसकी बाद में सर्जरी हुई थी। डॉक्टरों ने खेलने से मना किया, लेकिन उनका जूनुन था। वह फिर से खखेलने लगी, 2011 में उन्हें फिर बाएं घुटने में चोट लगी, ऑपरेशन हुआ। डॉक्टरों ने खेलने से साफ मना कर दिय जिस पर उन्हें हॉकी को अलविदा कहना पड़ा। 

 

 

 
 


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Isha

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