एक तरफ यूरिया की कमी तो दूसरी तरफ मौसम की खराबी ने किसानों की बढाई चिंता

punjabkesari.in Sunday, Jan 23, 2022 - 03:37 PM (IST)

ऐलनाबाद (सुरेन्द्र सरदाना) : खेती का व्यवसाय दिन प्रतिदिन घाटे का सौदा बनती जा रही है। वर्ष 2021 के अक्टूबर माह में क्षेत्र में उस समय हुई बारिश जब किसान की धान की फसल निस्सर रही थी, इस बरसात से इतना नुकसान हुआ कि न केवल धान कि बल्कि किसान के खेतों में खड़ी नरमा की फसल भी खराब हो गई, जिससे उत्पादन कम हुआ और किसान को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा।

किसान अभी पिछली फसल के नुकसान को भुला ही नहीं कि अब फिर किसान की गेहूं की फसल में हुई बरसात ने किसानों के अरमान भिगो दिए है और किसान की चिंताएं बढ़ा दी है। चार जनवरी के बाद आज 23 जनवरी यानी 19 दिन निकल जाने के बाद भी आज तक सूर्य देवता के दर्शन नहीं हुए है। चूंकि गेहूं की फसल के फुटाव के लिए सर्दी के साथ सूर्य की किरणों का मिलना भी जरूरी है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो पौधों को भोजन पौधे की जड़ों के इलावा पौधे की पत्तियों से सूर्य की किरणों यानी फोटोसिंथेसिस जिसे दूसरी भाषा में प्रकाश स्क्लेषन कहा जाता है, उसके द्वारा मिलता है। जब सूर्य ही नहीं निकल रहा तो फ़ोटोसिंथेसिस गति पर लगाम लगना स्वभाविक है जिससे पौधा कमजोर होता है।

इसके इलावा लगभग हर दिन रुक रुक कर हो रही बरसात ओर भी कोढ़ में खाज का काम कर रही है। अनेकों किसानों द्वारा अपने खेतों में गेहूं की फसल को बचाने के लिए जरूरत की ज्यादा मात्रा में यूरिया खाद डाल दी है। इसके बावजूद भी गेहूं फुटाव नहीं कर रही है और दिन प्रतिदिन पीली होती नजर आ रही है। इसके इलावा अनेकों किसान ऐसे भी है कि जिनको बाजार में यूरिया खाद की कमी के चलते यूरिया नहीं मिल पाई है और उनकी खेत में खड़ी गेहूं की फसल खत्म होने के कगार पेर है। यदि इस तरह का मौसम रहा और किसान को बाजार में यूरिया नहीं मिली तो गेहूं का उत्पादन निश्चित रूप से प्रभावित होगा और गेहूं के उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। ऐसे में उक्त दोनों परेशानियों के चलते क्षेत्र के किसान इस बात को लेकर चिंतित है कि अगर धान की फसल की तरह गेहूं की फसल भी खराब हो गई तो वह आर्थिक रूप से टूट जाएंगे और जीवनयापन के लिए उन्हें अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

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Content Writer

Manisha rana

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