चोट लगने के बाद डेढ़ साल तक बिस्तर पर रही विनेश, कम नहीं हुआ जज्बा

punjabkesari.in Thursday, Jan 16, 2020 - 03:10 PM (IST)

चरखी दादरी: जिनके हौसलों में उड़ान होती है, वह हर मुकाम हासिल कर लेते हैं। ऐसे ही कुछ कर दिखाया है हरियाण की बेटी विनेश फोगाट ने। विनेश रियो ओलंपिक में चोट लगने के बाद करीब डेढ़ साल बिस्तर पर रही, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने शानदार वापसी करते हुए विश्व चैंपियन में ऐसा दांव लगाया कि गोल्ड जीतकर सीधे टोक्यो ओलंपिक का टिकट पा लिया। 

इस बहादुर बेटी ने पहले पिता की मौत फिर रियो ओलंपिक में ऐसी चोटी लगी कि जिंदगी ठहर सी गई, लेकिन इसके बाद भी चरखी दादरी की इस बेटी का जज्बा कम नहीं हुआ और एशियन खेलों में महिला कुश्ती में पहला गोल्ड जीतकर इतिहास रचा है। इतना ही नहीं बल्कि शादी के बाद भी विनेश विश्व चैंपियन बनने के साथ टोक्यो ओलंपिक में रियो की चोट का बदला लेते हुए देश के लिए गोल्ड जीतने के लिए अखाड़े में उतरी है। विनेश अब यूक्रेन की राजधानी कीव में ओलंपिक की तैयारी कर रही है। 

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पिता की मौत के बाद ताऊ ने अपनाया 
बता दें कि चरखी दादरी के गांव बलाली निवासी विनेश फोगाट के पिता का वर्ष 2003 में देहांत हो गया था।  पिता की मौत के बाद ताऊ द्रोणाचार्य अवार्डी महाबीर फोगाट ने विनेश व उसकी छोटी बहन को अपनाया और अपनी बेटियों के साथ अखाड़े में उतारा। ताऊ के विश्वास व गीता-बबीता बहनों से प्रेरणा लेते हुए विनेश फोगाट ने एशियन खेलों के साथ-साथ विश्व चैंपियनशीप में गोल्ड जीतकर पुराने जख्मों पर मरहम लगा दिया।

टॉक्यो ओलंपिक के लिए किया क्वालीफाई
विनेश ने अपने परिवार व जिले के लोगों की आस के अनुरूप जीत हासिल की है। इसी का परिणाम है कि विनेश ने टोक्यो ओलंपिक में क्वालीफाई किया। परिवार, क्षेत्र के लोग विनेश की इस उपलब्धि पर खुशी से झुम उठे. द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर फोगाट की भतीजी और गीता-बबीता की चचेरी बहन विनेश फौगाट को रियो ओलंपिक के दौरान चोट लगने से जनवरी 2017 तक मैट पर नहीं उतर पाईं थी, लेकिन फिर भी इस बहादुर बेटी ने हिम्मत नहीं छोड़ी और दोबारा अखाड़े में उतरकर कड़ी मेहनत की। इसी मेहनत के बलबूते विनेश ने 53 किलोग्राम की कैटेगरी में देश के लिए कई मेडल भी जीते।

सरकार ने अर्जुन अवार्ड से नवाजा
वर्ष 2018 में पहलवान सोमबीर राठी के साथ शादी करने के बाद भी विनेश लगातार अखाड़े में उतरकर ओलंपिक में गोल्ड जीतकर देश की पहली महिला रेसलर का खिताब हासिल करना चाहती है। इसी मकसद से विनेश अब यूक्रेन की राजधानी कीव में सोना जीतने के लिए प्रेक्टिस कर रही है। विनेश फौगाट चोट लगने से पूर्व 48 किलोग्राम वर्ग में खेलती थी। पिछले वर्ष अप्रैल माह में हुए कॉमनलवेल्थ में विनेश ने 50 किलोग्राम वर्ग में रिंग में उतरते हुए गोल्ड मेडल जीता था। सरकार द्वारा विनेश की प्रतिभा व उसके खेल को देखते हुए अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया था। विनेश कॉमनवेल्थ में दो गोल्ड और एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं।

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ताऊ की हिम्मत ने विनेश का सपना पूरा किया
गीता-बबीता की मां दयाकौर की छोटी बहन प्रेमलता विनेश की मां हैं। मौसी की बेटियों के साथ ही विनेश ने ज्यादतर समय अखाड़े में ही बिताया है। बेटी की उपलब्धि पर ताऊ महावीर फोगाट ने बताया कि विनेश की हिम्मत ने कर चोट से लड़ाई लड़ी और देश के लिए कई मेडल जीते हैं। भाई हरविंद्र ने बताया कि विनेश व हमने महाबीर फोगाट को ही अपना पिता माना और उनके दिखाए मार्ग पर चले। प्रेरणा लेते हुए विनेश ने अपने रिकार्ड को बढाते हुए गोल्ड जीतकर मेडलों की संख्या में इजाफा किया है। टोक्यो ओलंपिक में विनेश गोल्ड जीतेगी और दोहरी खुशी देगी। 

सहेलियां बोली, विनेश की मेहनत को सलाम
विनेश की बचपन की सहेलियां कविता व सुनीता ने बताया कि वे पहली से आठवीं कक्षा तक साथ पढ़ी हैं। बचपन से ही विनेश का ध्यान खेलों पर रहा है। बड़ी बहन गीता व बबीता के कुश्ती के अखाड़े में उतरी तो पहलवानी शुरू कर दी थी। विनेश ने गीता और बबीता से भी बढ़कर अनेक मेडल जीते हैं और अब ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतकर लाएंगी। विनेश की मेहनत को सलाम करते हुए सहेलियों ने कहा कि विनेश विश्व की नंबर वन खिलाड़ी बनकर उनके गांव व देश का नाम रोशन करेंगी।


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Edited By

vinod kumar

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