रेवांता एमएस सीजीएचएस लिमिटेड के पीड़ित सदस्यों की भूमि की रेरा कोर्ट द्वारा नीलामी आदेश के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन

punjabkesari.in Monday, Oct 06, 2025 - 07:00 PM (IST)

गुड़गांव ब्यूरो : आज दोपहर 2 बजे से रेवांता मल्टीस्टेट सीजीएचएस लिमिटेड के पीड़ित सदस्यों ने जिलाधिकारी (दक्षिण-पश्चिम) एवं उप-जिलाधिकारी, तहसील कापसहेड़ा के कार्यालय तक शान्तिपूर्ण मार्च निकाला और सोसाइटी के मैनेजमेण्ट तथा प्रमोटरों के 11 वर्षों से चल रहे अन्यायपूर्ण भ्रष्टाचारी रवैये को उजागर किया। इस शान्तिपूर्ण मार्च में 750 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया और 4000 पीड़ित सदस्यों की जमीन की नीलामी के अन्यायपूर्ण एकतरफ़ा आदेश को रोकने की मांग रखी। यही मांग अभी तक 915 सदस्य स्पीड-पोस्ट द्वारा तथा 1214 सदस्य ईमेल द्वारा उपर्युक्त अधिकारियों से कर चुके हैं और अभी भी दिल्ली एवं अन्य राज्यों से यह मांग निरन्तर जारी है। वस्तुस्थिति का संज्ञान लेते हुए उप-जिलाधिकारी हेडक्वार्टर कापयहेड़ा ने पीड़ित सदस्यों के प्रतिनिधि मण्डल को हरसम्भव सहयोग का आश्वासन दिया।

 

1. सन् 2014 से कार्यरत रेवांता मल्टीस्टेट सीजीएचएस लिमिटेड में व्याप्त घोर आर्थिक अनियमितताओं और प्रमोटरों के अन्यायपूर्ण रवैये के कारण 11 वर्षों से मानसिक प्रतारणा झेल रहे सोसाइटी के 4000 से अधिक सदस्य अपने लिए रिहायशी फ़्लैट की आशा में सोसाइटी में जीवन भर की जमा-पूंजी लगाने के बाद कंगाली के कगार तक पहुँच गए हैं।

2. ई.ओ.डब्ल्यू की एफ़आईआर नं. 292/19 दिनांक 26.12.2019 (जिसकी चार्जशीट द्वारका कोर्ट में प्रस्तुत हो चुकी है) के अनुसार प्रमोटरों ने पहले तो सदस्यों की गाढ़ी कमाई के 400 करोड़ रुपये ग़बन कर लिए, उसके बाद सोसाइटी को योजनाबद्व तरीके से कानूनों का उल्लंघन करते हुए सोसाइटी को डिफ़ंक्ट स्थिति में पहुंचाकर बेचना चाहते थे। 

3. इन कुव्यवस्थाओं से उपजी निराशा के फलस्वरूप, अपनी जमा-पूंजा को सुरक्षित करने के लिए कुछ सदस्य ब्याज सहित जमा-पूंजी की मांग लेकर रेरा कोर्ट में चले गए। लेकिन प्रमोटरों द्वारा नियंत्रित सोसाइटी के मैनेजमेण्ट ने कोर्ट में सदस्यों का पक्ष कभी नहीं रखा और कोर्ट को सोसाइटी की वास्तविक स्थिति एवं बाई-लाज़ से अवगत नहीं कराया। फलस्वरूप कोर्ट ने सोसाइटी की चल और अचल (जमीन) सम्पत्ति की नीलामी के एकतरफ़ा आदेश दे दिए। यही एकतरफ़ा आदेश 4000 सदस्यों के हितों के साथ अन्याय है।

4. पीड़ित सदस्य अपनी परेशानी को जिलाधिकारी-साउथ-वेस्ट दिल्ली, उप-जिलाधिकारी- कापसहेड़ा, जिलाधिकारी-दिल्ली उत्तर, उप-जिलाधिकारी-अलीपुर, उप-जिलाधिकारी- द्वारका एवं  उप-जिलाधिकारी -नजफ़गढ़ के समक्ष ईमेल तथा स्पीड-पोस्ट द्वारा व्यक्त कर चुके हैं और आज व्यक्तिगज रूप से शान्तिपूर्ण प्रदर्शन द्वारा कहना चाहते हैं कि -

(A)  हमें कोर्ट केस करने वाले सदस्यों से कोई विरोध नहीं है लेकिन हम अपना हक सुरक्षित करना चाहते हैं। 

(B)  कोर्ट के आदेश के अनुसार 17 मेम्बरों की जमीन बेचकर एक मेम्बर को ब्याज समेत राशि वापसी हो सकेगी। इस तरह 4000 मेम्बरों की जमीन बेचकर मात्र 256 मेम्बरों के पैसे वापस हो सकेंगे। कोर्ट केस करने वाले एक सदस्य के लिए 17 सदस्यों का हक़ नहीं मारना चाहिए।

(C)  कोर्ट केस करने वाले सदस्यों में अभी तक सिर्फ़ जमीन की कीमत जमा की है, बल्कि कुछ सदस्यों ने तो जमीन की कीमत भी पूरी जमा नहीं की है।

(D)  सोसाइटी एक्ट 2002 व 2023 के एमण्डमेण्ट तथा सोसाइटी के संविधान में कहीं भी पैसा वापसी करने का प्रावधान नहीं है अपितु केवल मेम्बरशिप ही ट्रान्सफ़र की जा सकती है।

(E)  अधिकरियों से अनुरोध करना चाहते हैं कि कोर्ट केस करके पैसा वापस मांगने वाले 92 सदस्यों के साथ-साथ अपने खून-पसीने की कमाई लगाकर फ़्लैट चाहने वाले सदस्यों की जमीन की नीलामी करके भोले-भाले और लुटे हुए सदस्यों का आर्थिक अस्तित्व न खतम किया जाए।

(F)  प्रशासन से अनुरोध है कि जिन प्रमोटरों (सत्येन्द्र मान, प्रदीप सहरावत एवं सुभाष भूरिया) ने पैसे का ग़बन किया है, उनसे पैसा वसूल किया जाए।


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Content Editor

Gaurav Tiwari

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