जब मंडी सिस्टम ही खत्म हो जाएगा तो फिर किसानों को MSP देगा कौन : सुरजेवाला

punjabkesari.in Sunday, Dec 06, 2020 - 09:03 AM (IST)

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि से संबंधित तीन कानूनों को लेकर हरियाणा-पंजाब के किसान सड़कों पर हैं और पिछले लंबे समय से इन कानूनों के विरोध में दिल्ली को घेरे हुए हैं। इस मामले में जहां केंद्र सरकार की ओर से कांग्रेस पर किसानों को गुमराह किए जाने की बात कही जा रही है। 

वहीं कांग्रेस की ओर से भी निरंतर इन कानूनों को काले कानूनों की संज्ञा देकर किसानों को समर्थन देते हुए साफ किया जा रहा है कि मोदी सरकार कृषि संबंधित तीन कानूनों की आड़ में न केवल किसानों को ठगने की दिशा में है बल्कि अब विरोध बढ़ता देख झूठ बोल कर किसानों को गुमराह किया जा रहा है। इस स्थिति पर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुर्जेवाला ने शुक्रवार को फेसबुक पर लाइव होकर न केवल केंद्र सरकार के खिलाफ बम फोड़ा अपितु तर्क प्रस्तुत करते हुए केंद्र की भाजपानीत सरकार को घेरते हुए कई सवाल खड़े किए।

एम.एस.पी. पर ऐसे उठाए सवाल
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुर्जेवाला ने फेसबुक पर लाइव होकर आमजन से सीधा संवाद स्थापित करते हुए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कानूनों पर खुलकर अपनी राय जाहिर करते हुए कई सवाल खड़े किए। सुर्जेवाला ने एम.एस.पी. (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के संदर्भ में केंद्र सरकार को घेरते हुए सवाल खड़ा किया कि जब भाजपा की केंद्र सरकार बार बार ये आश्वासन दे रही है कि एम.एस.पी. खत्म नहीं होगा? तो यह बात इसलिए समझ से परे हो जाती है कि जब ये तीन काले कानून बनने से अनाज मंडियां खत्म हो जाएंगी, प्राइवेट कंपनियां अपने हिसाब से किसान की उपज खरीदेगी तो फिर किसानों को ये एम.एस.पी. देगा कौन?

सुर्जेवाला ने अपने इस सीधे संवाद के जरिए मंडी सिस्टम पर पूरा फोकस करते हुए जानकारी दी कि एम.एस.पी. प्रणाली कांग्रेस ने शुरू की ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मुआवजा मिल सके। इन काले कानूनों के बनने से पहले एग्रीकल्चर कोस्ट प्राइस कमीशन एम.एस.पी. का निर्धारण करता था कि गेहूं का ये है, दाल का ये है और धान का ये है इत्यादि। इसके बाद किसान मंडी में जाकर अपनी उपज बेचता था। इसके अलावा सरकारी एजेंसियों के साथ साथ प्राइवेट आदमी भी उपज खरीद करता था लेकिन इन कानूनों के कारण मंडी खत्म हो जाएंगी तो किसान एम.एस.पी. किससे हासिल करेगा? उन्होंने बताया कि देश में करीब 42 हजार अनाज मंडियां हैं और उन अनाज मंडियों में एफ.सी.आई खरीद नहीं कर पाती। एग्रीकल्चर सेंसस के मुताबिक देश में 15 करोड़ किसान हैं, जब अनाज मंडी नहीं रहेगी तो न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या एफ.सी.आई. 15 करोड़ किसानों के खेत में जाकर देगी?

आखिर झूठ क्यों बोल रहे हैं प्रधानमंत्री
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुर्जेवाला ने कहा कि केंद्र सरकार कहती है कि अब देश का किसान कहीं भी अपनी उपज बेच सकता है तो फिर कानून का विरोध क्यों? सुर्जेवाला ने कहा कि इसके दो पहलू हैं, पहला पहलू कृषि सेंसस 2015-16 में अगर आप देखें तो पाएंगे कि 85 प्रतिशत देश का किसान दो हैक्टेयर से कम का मालिक है यानी पांच एकड़ से कम और इस 85 प्रतिशत का 80 प्रतिशत केवल 2 एकड़ भूमि का मालिक है। किसान तो खेत से अपनी फसल मंडी तक ले जाने में समक्ष नहीं तो वो किसान कैसे हरियाणा, पंजाब से अपना चावल हैदराबाद या फिर चैन्नई जाकर बेच सकता है? सुर्जेवाला ने कहा कि ऐसी स्थिति में पूंजीपतियों द्वारा इन उत्पादों को खरीद कर स्टोर किया जाएगा और बाद में मंहगे दामों पर ग्राहकों को बेचा जाएगा, इसे बोला जाएगा वन नेशन-वन मार्कीट।


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Manisha rana

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