पुलिस ने नकली विज्ञापन में अधिकारियों का नंबर देने वाले गिरोह का किया पर्दाफाश, मुख्य आरोपी काबू
punjabkesari.in Thursday, Oct 13, 2022 - 11:29 PM (IST)

विनोद(हिसार): पुलिस अधिकारियों के मोबाइल नंबर फर्जी लोन में देने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश कर मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। इसके साथ ही आरोपी पर आईपीसी की धारा 186/420/120B के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस मामले के में पुलिस आरोपी से गहनता से पूछताछ कर रही है। जिसके बाद उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा।
उप पुलिस अधीक्षक कप्तान सिंह ने प्रेस वार्ता में बताया कि दिनाक 13.08.2022 को एक राष्ट्रीय स्तर के अखबार के मुख्य संस्करण में छपे क्लासिफाइड लोन के विज्ञापन में पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के सरकारी मोबाइल नंबर प्रकाशित किये गए थे। लेकिन पुलिस अधिकारियों को इस लोन से कोई लेना-देना नहीं था। इस विज्ञापन के संबंध में संबंधित अखबार को पुलिस अधीक्षक हिसार की तरफ से नोटिस जारी किया गया था। साथ ही अखबार के संपादक ने पूछा गया तो उन्होंने बताया कि जिस व्यक्ति ने यह विज्ञापन दिया था। उसी ने अधिकारियों के नम्बर जानबूझकर छपवाए थे। जिस विभिन्न धाराओं के साथ मामला दर्ज किया गया।
उप पुलिस अधीक्षक महोदय ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी नेलसन पॉलिटेक्निक कॉलेज, हिसार से कंप्यूटर डिप्लोमा धारक है और मनाली में अपने दोस्त अमित काजला वासी जुगलान के साथ मिलकर पिछले 6 सालों से किराए पर होटल ब्लू चिप नामक रिजॉर्ट चलाता है। आरोपी ने 2013 से 2015 तक राजेश रोहिला उर्फ राजा वासी हांसी,नवदीप साहु समेत कई युवाओं के साथ मिलकर दिल्ली के पीरागढ़ी क्षेत्रों में जीरो फाईनेस मोबाइल टावर लगवाने का काम करता था। उस समय आरोपियों के पास काम करने वाले लड़को के पास फर्जी पतों की सिम व फर्जी बैंक खातें होते थे, जिसका पूरा काम राजेश रोहिला उर्फ राजा देखता था और न्यूज एजेंसियों में विज्ञापन लगवाता था। इसमें आरोपी नेलसन का 30 प्रतिशत हिस्सा था।
पुलिस टीम द्वारा पूछताछ करने पर आरोपी ने बताया कि उसने यह काम फर्जी विज्ञापन बंद करवाने के लिए करवाया। आरोपी ने दैनिक जागरण, अमर उजाला, पंजाब केसरी, दैनिक भास्कर के एडिटर-इन-चीफ से पत्राचार करके यह फर्जी विज्ञापन बंद करवाने बारें शिकायत दी थी, लेकिन अखबारों की तरफ से किसी भी प्रकार का कोई भी जवाब आरोपी को नहीं दिया गया। आरोपी ने बताया कि उसने फर्जी तौर पर अखबारों में विज्ञापन लगवाने के बारे में सोचा और विज्ञापन बंद करवाने के लिए विज्ञापनों में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का नंबर दिया था।
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