कर्नाटक के चुनाव परिणाम से बदलेंगे प्रदेश में राजनीतिक हालात

punjabkesari.in Sunday, May 13, 2018 - 08:11 AM (IST)

अम्बाला(वत्स): कर्नाटक विधानसभा चुनाव परिणाम का सीधा असर प्रदेश की राजनीति पर पडऩे वाला है। अगर चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आते हैं तो ‘एडजैस्ट’ होने के इंतजार में बैठे नेता कांग्रेस की ओर रुख करने का प्रयास करेंगे। परिणाम भाजपा के पक्ष में आए तो भाजपा की ओर ऐसे नेताओं का रुख होगा। कांग्रेस और भाजपा दोनों में से कर्नाटक चुनावों में जो भी जीतेगी, प्रदेश में उसी पार्टी का क्रेज बढ़ेगा।

प्रदेश में कई ऐसे बड़े चेहरे हैं जो गत विधानसभा चुनाव के बाद से राजनीति में पूरी तरह सक्रिय नहीं हैं। प्रदेश में ब्राह्मण नेता के रूप में खुद को स्थापित कर चुके विनोद शर्मा पूर्व सी.एम. चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खास रह चुके हैं। गत विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने कांग्रेस छोड़कर अपनी अलग पार्टी बना ली थी। इस पार्टी को किसी तरह की कोई सफलता नहीं मिली थी। शर्मा अब फिर से घर वापसी कर सकते हैं।

ब्राह्मण नेताओं में ही एक अरविंद शर्मा अभी तक बसपा से जुड़े हुए थे। बसपा में रहते हुए वे कुछ खास नहीं कर पाए। बसपा में रहते हुए उन्होंने खुद को एक तरह से निष्क्रिय ही रखा। प्रदेश में इनैलो-बसपा गठबंधन होने के बाद बसपा ने उनसे किनारा कर लिया। अब अरविंद भी नए ठिकाने की तलाश में हैं।

वे भाजपा या कांग्रेस में जा सकते हैं। इसके लिए अरविंद कर्नाटक चुनाव परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। अभी इनैलो-बसपा गठबंधन की तस्वीर पर भी कई नेताओं की निगाहें हैं। अगर गठबंधन की लहर बनती है तो कई नेता इनैलो और बसपा की ओर भी जा सकते हैं। कांग्रेस छोड़कर हलोपा बनाने वाले गोपाल कांडा वैश्य नेता के रूप में स्थापित हैं। गत विधानसभा चुनाव के बाद से वह भी लगभग निष्क्रिय ही हैं। उन्होंने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। 

दक्षिणी हरियाणा से इनैलो नेता राव बहादुर सिंह गत विधानसभा चुनाव के बाद से राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं थे। गठबंधन के बाद वे भी सक्रिय हो चुके हैं। अब वे कोसली में अभय चौटाला की जनसभा करवाने जा रहे हैं। उन्होंने गुरुग्राम से लोकसभा चुनाव लडऩे की इच्छा भी जाहिर की है। इसी क्षेत्र से इनैलो नेता रहे पूर्व मंत्री जगदीश यादव को भी नए ठिकाने की तलाश है। इनैलो छोडऩे के बाद वह यह तय नहीं कर पाए हैं कि आखिर कहां जाएं।

कोसली हलके में उनका व्यक्तिगत वोट बैंक होने के कारण वह इस हलके से बाहर जाने की स्थिति में नहीं हैं। कांग्रेस और भाजपा में जाने की राह आसान नहीं है। इस क्षेत्र से दोनों दलों के पास प्रत्याशी मौजूद हैं। इनैलो में वापसी की राह भी उनके लिए अब आसान नहीं है।

ओमप्रकाश चौटाला यह बात साफ कर चुके हैं कि पार्टी छोड़कर जाने वाले लोगों को किसी भी सूरत में वापस नहीं लिया जाएगा। रेवाड़ी से इनैलो की टिकट पर भाजपा प्रत्याशी को कड़ी टक्कर देने वाले सतीश यादव भी इस समय मौके के इंतजार में हैं। 


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Rakhi Yadav

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