पराली में लगी आग से गर्मायी सियासत, नेताओं में भी जुबानी जंग जारी

punjabkesari.in Thursday, Nov 07, 2019 - 10:40 AM (IST)

डेस्क(संजय अरोड़ा)- हरियाणा व साथ लगते राज्य पंजाब में इन दिनों सियासत के लिहाज से जो मुद्दा सबसे अधिक गर्माया है, वह है खेतों में किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली से पैदा हुए जहरीले धुएं से प्रदूषित हो रहा वातावरण। यह हरियाणा विधानसभा के 3 दिवसीय विशेष सत्र में जहां पूरी तरह छाया रहा,वहीं विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में कोई कमी नहीं छोड़ी। इस प्रदूषित वातावरण से जहां आमजन परेशान नजर आ रहा है,वहीं इस प्रदूषित आबोहवा को झेल रहे राज्यों के नेताओं में भी जुबानी जंग जारी है। 

गौरतलब है कि किसानों की ओर से इन दिनों खेतों में पराली को लगाई जा रही आग ने हवा को जहरीला बना दिया है। आसमान में पिछले सप्ताह धुएं की चादर तनी रही और वायु गुणवत्ता सूचकांक कई शहरों में तो 1 हजार का आंकड़ा पार कर गया। आलम यह है कि पंजाब में तो आगजनी की घटनाओं का आंकड़ा 30 हजार को पार कर गया। हरियाणा अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (हरसेक) की ओर से सैटेलाइट के जरिए जुटाई गई जानकारी अनुसार 25 सितम्बर से लेकर 4 नवम्बर तक पंजाब में 32 हजार 388, जबकि हरियाणा में 4,817 जगह धान की पराली को आग लगाई गई। 4 नवम्बर को तो पंजाब में 6,439 तो हरियाणा में 402 जगह पराली को आग लगाई गई। उल्लेखनीय है कि हरियाणा व पंजाब दोनों ही प्रमुख

धान उत्पादक प्रदेश हैं। देश में अन्न का कटोरा भरने वाले इन दोनों राज्यों में धान की पराली न केवल शासन-प्रशासन हेतु बल्कि किसानों एवं आमजन के लिए संकट बनी हुई है। धान की पराली को नष्ट करने का कोई उचित विकल्प न होने से किसान इसको खेतों में ही जला देते हैं।

2015 में नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पराली जलाने पर लगाया था प्रतिबंध
2015 में नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से धान की पराली को आग लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इसके बाद से धान की पराली को आग लगाने पर न केवल जुर्माने बल्कि पुलिस केस दर्ज करने का भी प्रावधान किया गया है,परंतु सरकारों की ओर से धान की पराली के संदर्भ में कोई ठोस नीति न बनाने एवं किसानों को उचित विकल्प न देने से आगजनी की घटनाएं थमी नहीं हैं। हरसेक से मिली जानकारी अनुसार हरियाणा व पंजाब में पिछले 10 दिन में ही 26 हजार जगह धान की पराली को आग लगाई गई। इस वजह से प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया। हालांकि कृषि विभाग की ओर से किसानों द्वारा पराली को आग लगाए जाने पर हजारों किसानों पर जुर्माना करने के अलावा पुलिस मुकद्दमे भी दर्ज किए गए, लेकिन फिर भी पराली जलाने का सिलसिला लगातार जारी है।

कैथल व करनाल में आंकड़ा अधिक
अगर जिलावार बात करें तो 25 सितम्बर से लेकर 4 नवम्बर तक कैथल में सबसे अधिक आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं। कैथल में 1017 जगह धान की पराली को आग लगाई गई। इसके बाद करनाल में 924, फतेहाबाद में 772 कुरुक्षेत्र में 701 जगह आगजनी की घटनाएं सामने आईं। नंूह में एक भी जगह आगजनी की घटना सामने नहीं आई है।

सैटेलाइट के जरिए हरसेक रखता है निगाहें
धान की पराली में आग लगाए जाने की घटनाओं को लेकर हरियाणा में हरसेक यानी हरियाणा स्पेस एप्लीकेशन सैंटर की ओर से सैटेलाइट के जरिए निगाहें रखी जाती हैं। एक अमरीकन एप्लीकेशन के जरिए हरसेक के वैज्ञानिक यह पता लगा लेते हैं कि किस प्वाइंट पर आग लगाई गई है। हरसेक की ओर से यह कार्य पिछले करीब 4 वर्षों से किया जा रहा है।


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Isha

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