छोटी ‘सरकार’ के चुनाव के लिए लंबा होता ‘इंतजार’!

punjabkesari.in Wednesday, Feb 24, 2021 - 10:28 AM (IST)

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : हरियाणा में करीब 6200 पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो गया है और नए पंचायत चुनावों को लेकर अभी भी संशय बरकरार है। पिछली बार की तरह से इस बार भी पंचायत चुनाव समय पर होने के आसार नहीं हैं। ग्राम पंचायतों के अलावा सभी पंचायती राज संस्थाओं के  प्रतिनिधियों का कार्यकाल 24 फरवरी तक का  है, मगर वर्तमान में जो परिस्थितियां दिखाई दे रहीं हैं, उससे छोटी सरकार के ये चुनाव अब कई माह तक टलते नजर आ रहे हैं। इसके पीछे कई ठोस कारण हैं।  

हरियाणा में इन दिनों जहां किसान आंदोलन जारी है और इसके अभी जल्दी खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे । यह आंदोलन सीधा देहात के साथ जुड़ा है, वहीं 5 मार्च से हरियाणा में बजट सैशन शुरू हो रहा है, जो मार्च माह के अंतिम सप्ताह तक जारी रहने की संभावना है ।  इसके बाद अप्रैल माह में फसली सीजन अर्थात गेहूं की कटाई-कढ़ाई व बिजाई का सिलसिला शुरू हो जाएगा, जिसमें किसानों की व्यस्तता बढ़ जाएगी। तत्पश्चात मई माह संभावित पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के साथ ही हरियाणा के कालका और ऐलनाबाद में उपचुनाव की संभावना दिखाई दे रही है। ऐसे में पंचायत चुनाव इसके बाद जून या जुलाई माह में ही संभव हो सकते हैं। वहीं सियासी पर्यवेक्षक यह भी कयास लगा रहे हैं कि यदि ये चुनाव अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक हो गए तो ठीक अन्यथा इन चुनावों को जून माह में ही करवाया जाना संभव हो पाएगा।

फिर से निकाले जाएंगे ड्रा
इन चुनावों को लेकर दिलचस्प बात यह है कि हरियाणा में पंचायत चुनाव को लेकर पिछले साल जून व जुलाई माह में पंचायती राज विभाग की ओर से प्रत्येक गांव के लिए सरपंच के अलावा जिला परिषद सदस्यों व ब्लॉक समिति सदस्यों के आरक्षण को लेकर ड्रा निकाले गए थे। भाजपा सरकार की ओर से अपने दूसरे कार्यकाल में विधानसभा में स्पैशल विधेयक लाकर पंचायतों में महिलाओं के लिए आरक्षण 50 फीसदी कर दिया था। इसलिए अब ड्रा निकालने की प्रक्रिया फिर से होगी। ड्रा की प्रक्रिया भी काफी लम्बी है। ऐसे में यह प्रक्रिया भी चुनाव में देरी का एक बड़ा कारण बन सकती है।

हरियाणा में चौधर का प्रतीक माने जाते हैं पंचायत चुनाव
गौरतलब है कि हरियाणा में पंचायत चुनाव खासकर गांव के सरपंच का चुनाव चौधर व रुतबे का प्रतीक माना जाता है। राजनीतिक दल भी इससे अछूते नहीं रहते हैं। बड़े गांवों में तो राजनीतिक दलों का हस्तक्षेप व्यापक पैमाने पर देखने को नजर आता है। यहां पर सरपंची के चुनाव में प्रत्येक वोटर्स की नब्ज टटोलने के साथ ही सभी तरह का शह-मात का खेल चलता है। इन चुनावों को सभी बड़े दल व नेता अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना कर लड़ते हैं और इन छोटे चुनावों में भी शह मात का हर बड़ा खेल खेला जाता है । अतीत की बात करें तो कई चुनावों में तो बड़े चुनाव की तरह पैसा पानी की तरह बहता भी नजर आया है ।

पिछली बार भी 6 माह विलम्ब से हुए थे चुनाव
गौरतलब है कि हरियाणा में पिछले पंचायती चुनाव वर्ष 2016 में 10 जनवरी, 17 जनवरी व 24 जनवरी को अलग-अलग तीन चरणों में हुए थे। हरियाणा की भाजपा सरकार की ओर से तब पंचायती चुनाव में शैक्षणिक योग्यता लागू किए जाने के चलते पिछले चुनाव जुलाई 2015 की बजाय छह माह विलम्ब से यानी जनवरी 2016 में संभव हो पाए थे। ऐसे में नियमों के अनुसार पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने के पांच वर्ष बाद ही चुनाव करवाए जा सकते हैं। मगर इस बार भी पंचायत चुनाव में पिछली बार की तरह विलम्ब होने की पूरी संभावना बनी हुई है । हरियाणा में 6205 सरपचों के अलावा 22 जिलों के 416 जिला परिषद सदस्यों, 142 ब्लॉक समितियों के 3002 सदस्यों के जबकि 62466 पंचायत सदस्यों के चुनाव होने हैं। राज्य में प्रस्तावित यह छठें आम पंचायत चुनाव होंगे। जिस तरह से किसान आंदोलन जारी है। अगले माह बजट सैशन और उसके बाद अप्रैल माह में फसल कटाई का समय होने के चलते चुनाव किसी भी सूरत में जून माह से पहले होते नजर नहीं आ रहे हैं।

3102 महिलाओं के पास होगी चौधर
हरियाणा में पंचायत प्रणाली में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण के बाद अब भविष्य में पंचायत में गणित पूरी तरह से बदल जाएगा। पिछली बार कुल 2,565 महिला सरपंच थीं जबकि नई व्यवस्था के बाद महिला सरपंचों की संख्या 3,102 हो जाएगी। इसी तरह से अब महिला जिला पार्षदों की आरक्षण संख्या 208 हो जाएगी, जबकि पिछली बार 181 महिलाएं जिला पार्षद सदस्याएं चुनकर आई थीं। पंचायत समिति में महिला सदस्यों की संख्या इस बार 1501, जबकि महिला पंचायत सदस्यों की संख्या पिछली बार की 25,495 की तुलना में 31,233 हो जाएगी।

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Content Writer

Manisha rana

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