जाट आरक्षण आंदोलन पर बोले प्रो.वीरेंद्र सिंह

punjabkesari.in Monday, May 23, 2016 - 12:54 PM (IST)

जींद: जाट आरक्षण आंदोलन के सिलसिले में अपनी एक सी.डी. को लेकर कई दिन तक जेल की हवा खाकर बाहर आए प्रदेश के पूर्व सी.एम. भूपेंद्र हुड्डा के पूर्व राजनीतिक सलाहकार प्रो. वीरेंद्र सिंह का कहना है कि प्रदेश में जाट आरक्षण आंदोलन को लेकर प्रकाश सिंह कमेटी की जांच रिपोर्ट पर सवाल बंद करने हैं तो प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह जाट आरक्षण आंदोलन की सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज से जांच करवाएं, जब तक सरकार ऐसा नहीं करेगी उसकी हर जांच पर सवाल खड़े होते रहेंगे।

 

प्रो. वीरेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि प्रकाश सिंह कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर जिस तरह से अधिकारियों का निलंबन किया गया है, उसमें भी सरकार ने अपने चहेते अधिकारियों को बचाया है और दूसरों को बलि का बकरा बनाया है। प्रो. वीरेंद्र निडाना गांव जाकर पीने के पानी के लिए जान गंवाने वाले 5 दलित युवकों की मौत पर शोक जताने के बाद जींद में पत्रकार सम्मेलन में बोल रहे थे। 

 

इसमें प्रो. वीरेंद्र ने कहा कि निडाना में पानी के लिए 5 लोगों की जान जाना प्रदेश सरकार के लिए शर्म की बात है, अब से पहले प्रदेश में जो भी सरकार रही, उनके समय एस.वाई.एल. की खुदाई का काम हुआ। अब हरियाणा की सरकार को कमजोर मान पंजाब ने नहर को पाट दिया। 

 

प्रो. वीरेंद्र ने जाट आरक्षण आंदोलन को लेकर एक सवाल के जवाब में कहा कि आंदोलन की नींव खुद सरकार ने रखी। जाट आरक्षण आंदोलन सरकार की विफलता का परिणाम था। उन्होंने यह भी कहा कि जाट आरक्षण आंदोलन की सच्चाई का पता लगाने के लिए सरकार को सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज से इसकी जांच करवानी चाहिए। 

 

उन्होंने कहा कि इससे साफ है कि सरकार की नीयत साफ नहीं है। प्रदेश के पूर्व सी.एम. भूपेंद्र हुड्डा के खिलाफ सी.बी.आई. जांच और कई एफ.आई.आर. दर्ज होने को लेकर एक सवाल के जवाब में प्रो. वीरेंद्र सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार को लग रहा है कि हरियाणा में अगली सरकार भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की बनेगी। 

 

पंचकूला में नैशनल हैराल्ड को प्लाट आबंटन मामले में प्रो. वीरेंद्र ने कहा कि इस प्लाट को सबसे पहले नैशनल हैराल्ड को भजन लाल के मुख्यमंत्री काल में अलाट किया गया था। बाद में इस पर निर्माण नहीं होने से इसे हुडा विभाग ने जब्त कर लिया था। प्लाट को लेकर अंतिम अपील 1996 में खारिज हुई थी। उसके बाद 10 साल तक प्लाट दोबारा किसी को आबंटित नहीं किया गया। इस मौके पर उनके साथ प्रो. धर्मेंद्र ढुल, प्रकाश बोहतवाला, जगबीर ढिगाना आदि भी थे। 


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