'डॉक्टरों की लापरवाही ने मेरे पिता को मार डाला' सिग्नस अस्पताल में वकील ने तोड़ा था दम, बेटियों ने लगाए गंभीर आरोप

punjabkesari.in Thursday, Mar 07, 2024 - 12:49 PM (IST)

कैथल (जयपाल रसूलपुर) : कैथल शहर के सिग्नस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल प्रबंधन पर लगातार मरीजों के इलाज में लापरवाही व आयुष्मान धारकों से पैसे लेने के आरोप लग रहे हैं। अस्पताल के आईसीयू में दाखिल शहर के वकील बैजनाथ गुप्ता की 18 फरवरी को मौत हो गई थी। जिसमें मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाए है कि डॉक्टरों ने मरीज को सही इलाज नहीं दिया। जब बात बिगड़ती दिखी तो एकदम से डरा कर रेफर कर दिया। इस दौरान कोई भी ऑक्सीजन या फर्स्ट एड तक नहीं दी गई। जिस कारण वकील बैजनाथ की मौत हो गई।

अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ FIR दर्ज कराने को लेकर SP से मिले परिजन

बुधवार को बैजनाथ की मौत के मामले में मृतक के परिजन अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने को लेकर एसपी से मिले। एसपी ने सिविल सर्जन को डॉक्टरों का एक बोर्ड गठित कर मामले की निष्पक्ष जांच करने के लिए पत्र लिखा है। मृतक वकील की बेटी रितु गुप्ता, सोनिया गुप्ता, रजनी गुप्ता समेत कई वकील एसपी उपासना दी। शिकायत में बताया कि सिग्नस अस्पताल की डॉ. मीरा देवरात्ती लक्के गौड़ा, डॉ. सितेंद्र गर्ग, डॉ. अजय राजपूत और अस्पताल के प्रबंधन में शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए। 

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वेंटिलेटर को एकदम हटाने के कारण गई थी जान 

उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि 18 फरवरी को हमारे पापा डॉ. मीरा द्वारा बताई गई दवा पर घर पर ही थे। दोपहर तीन बजे उनकी हालत खराब लगी तो हम उनको सिग्नस अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां उनको आईसीयू में दाखिल कर दिया। शाम 6.30 बजे उन्होंने उनको रेफर करने के लिए कह दिया और स्थिर हालत में उनको एंबुलेंस में लेटाने लगे। अस्पताल स्टाफ ने वेंटिलेटर को भी एकदम से उतार दिया। 45 मिनट तक सीपीआर देते रहे। जिससे साफ है कि इन डॉक्टरों को कोई भी अनुभव नहीं है। हम आनन-फानन में पापा को अम्बाला के एक अस्पताल लेकर पहुंचे जहां उसे मृत घोषित कर दिया। जब हमनें एक्सपर्ट डॉक्टरों से बातचीत की तो पता चला कि पापा की मौत वेंटिलेटर को एकदम हटाने के कारण हृदय रुकने के कारण हुई है। 

मृतक की बेटी बोली- हमारे पास डॉक्टरों की रिकॉर्डिंग, जिसमें गलती कबूली 

मृतक की बेटी रितु गुप्ता ने कहा कि हमारे पास डॉक्टरों की कॉल रिकॉर्डिंग है। जिसमें डॉक्टरों ने कहा कि यह एक हाई प्रोफाइल मामला होने के कारण हम घबरा गए थे। डॉ. सतेंद्र ने भी माना है कि डॉक्टरों का ये व्यवहार गलत था। आपातकालीन स्थितियों के लिए डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जाता है। अमेरिका में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में सीईओ के पद पर तैनात मृतक बैजनाथ की बेटी ने कहा कि हमें पता लगा है कि इससे पहले भी कई परिवार इस अस्पताल के गलत रवैये व इलाज में लापरवाही के कारण अपने सदस्यों को गंवा चुके हैं। अब उनकी आवाज भी हम बनेंगे और कानूनी लड़ाई लडेंगे। इसके लिए सोशल साइट पर एक ग्रुप बनाया जाएगा। जिसमें अस्पताल की लापरवाही का शिकार हुए लोगों को जोड़ा जाएगा। 

सिग्नस अस्पताल पर पहले भी सरकार लगा चुकी 50 हजार रुपए जुर्माना

सिग्नस अस्पताल पर पहले भी आयुष्मान कार्ड धारक मरीज को दाखिल नहीं करने के आरोप लगे थे। साथ उसके टेस्टों के लिए 10 हजार रुपए भी लिए गए थे। इसकी शिकायत कसान गांव के रमेश ने सीएम विंडो पर शिकायत की थी। जिसके बाद सरकार ने अस्पताल प्रबंधन पर 50 हजार रुपए जुर्माना लगाया था। इसको लेकर विधानसभा की स्वास्थ्य कमेटी के अध्यक्ष गुहला विधायक ईश्वर सिंह ने अस्पताल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए दोबारा सरकार को लिखा था और 9 सदस्यीय कमेटी बनाकर दोषियों को सजा के लिए लिखा था। 


कैंसर की लास्ट स्टेज का मरीज था मृतक बैजनाथ

सिग्नस हॉस्पिटल की डॉ. मीरा देवरात्ती लक्के गौड़ा ने बताया कि मृतक बैजनाथ कैंसर की लास्ट स्टेज का मरीज था। मोहाली में उनका इलाज चल रहा था। फर्स्ट एड के लिए उसको अस्पताल में लाया गया था। गंभीर हालत को देखते हुए उसको हायर सेंटर रेफर किया गया था। परिजन उसको हायर सेंटर ले जाने की बजाय घर ले गए, जिस कारण उनकी मौत हो गई। अस्पताल प्रबंधन पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं। दूसरे मामले में पीड़ित ने ये नहीं बताया था कि वह आयुष्मान धारक है। जब ये पता चला कि वह आयुष्मान कार्ड धारक है तो उसके पैसे वापस कर दिए गए थे। आरोप बिल्कुल गलत हैं। 

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Content Writer

Manisha rana

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